कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसकी पहचान करने में देरी हो जाए तो रोगी का बचना मुश्किल हो जाता है। कैंसर के इलाज के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं, जो समय-समय पर सामने आते रहते हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक कैंसर के इलाज से प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। इससे महिला और पुरुष दोनों प्रभावित होते हैं।

अब एक शोध में यह जानकारी सामने आई है कि कैंसर के इलाज में होने वाली कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी से पुरुष और महिला दोनों को प्रजनन से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं। शरीर में अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं पर असर पड़ सकता है, जो आगे चलकर गर्भधारण करने में मुसीबत का सबब बन सकता है।

कीमोथेरेपी- कीमोथैरेपी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो कैंसर के इलाज में बेहद कॉमन है। लेकिन इस पद्धति का अंडों और शुक्राणु कोशिकाओं पर असर पड़ता है और नुकसान पहुंच सकता है। शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। कीमोथेरेपी का रेडिएशन शरीर में फैल सकता है और अंडाशय पर असर पड़ सकता है।

कई बार कीमोथेरेपी या रेडिओथेरेपी से सभी अंडे, शुक्राणु और इन्हें सपोर्ट करने वाली कोशिकाओं के नष्ट होने का खतरा भी बना रहता है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर किसी महिला या पुरुष को कैंसर है तो समय रहते विकल्पों की तरफ ध्यान देना चाहिए।

तो क्या है इसका विकल्प?

ऑन्कोफर्टिलिटी चिकित्सा पद्धति ऐसा विल्कप है जो प्रजनन संरक्षण में मदद करता है। क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी सोसाइटी ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (COSA) ने कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए प्रजनन को ध्यान में रखते हुए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है, जो विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिकों, सहित ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है। COSA की गाइडलाइन में इलाज के विकल्पों, मनोवैज्ञानिक सहायता समेत तमाम बातों पर फोकस किया गया है।