बारिश के मौसम में जहां गर्मी से राहत मिलती है, वहीं कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। यूरिक एसिड भी एक ऐसी ही समस्या है जो बारिश के मौसम में बढ़ सकती है। यूरिक एसिड बढ़ने से शरीर के जोड़ों में दर्द, सूजन और गठिया जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। यदि इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए, तो यह किडनी डैमेज तक की नौबत ला सकता है।

योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार, बारिश के मौसम में हमारी डाइट, लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिज्म में जो बदलाव आता है, वो यूरिक एसिड के लेवल को प्रभावित करता है। ऐसे में यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

दरअसल, यूरिक एसिड एक केमिकल है, जो शरीर में तब बनता है जब प्यूरिन नामक तत्व टूटने लगता है। जोड़ों पर यूरिक एसिड का जमा हो जाना, कमजोरी की वजह से या फिर आनुवंशिक कारणों से भी जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। शरीर में यूरिक एसिड का लेवल तब बढ़ जाता है जब किडनी अपनी फिल्टर करने की क्षमता को कम कर देता है। यूरिक एसिड की समस्या अधिक बढ़ जाने पर यह गाउट का कारण बन जाता है। इस समस्या के कारण लोगों को जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या होती है। बढ़ती उम्र के साथ भी यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या सामने आती है।

योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार, शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन होने की संभावना अधिक रहती है। मानसून के दौरान ठंडे मौसम की वजह से लोग पानी कम पीते हैं, जिससे शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। जब शरीर में पानी की मात्रा कम होती है, तो किडनी यूरिक एसिड को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती, जिससे इसका स्तर बढ़ने लगता है।

क्यों बढ़ सकता है यूरिक एसिड

बारिश के मौसम में दालों का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। हालांकि, राजमा, चना, उड़द जैसी हाई-प्रोटीन डाइट का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनमें प्यूरिन नामक तत्व अधिक होता है, जो यूरिक एसिड में बदलता है और उसकी मात्रा बढ़ा सकता है।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी

मानसून में एक्सरसाइज या योग की नियमितता टूट जाती है, जिससे शरीर की मेटाबॉलिक क्रिया धीमी हो जाती है। इसका असर यूरिक एसिड के मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ता है और शरीर में यह जमा होने लगता है।

वहीं, बारिश के मौसम में बीमार नहीं पड़ना, तो आपको अपनी थाली में शामिल करनी चाहिए कुछ खास मौसमी सब्जियों को खाना चाहिए। इससे न केवल इम्यून सिस्टम को बूस्ट होता है, बल्कि शरीर के हर अंग को मजबूती मिलती है।