पेट में बनने वाली गैस या एसिडिटी के चलते बेचैनी महसूस होती है। कभी- कभी तो लोगों को पेट में दर्द और पेट फूलने जैसी समस्या हो जाती है। भारतीय परिवारों में यह समस्या मसालेदार भोजन और खराब लाइफस्टाइल के चलते होती है। लिवर शरीर का वर्क हाउस है। तकरीबन 500 से ज्यादा बॉडी फंक्शन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। सोचिए अगर इसमें कोई गड़बड़ी आ जाए तो समझ सकते हैं कि, शरीर में किस तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती है।
पेट में बनने वाली गैस की समस्या से हर कोई परेशान है। गैस्ट्रिक प्रॉब्लम भारत में आज आम समस्या बन गई है। पेट दर्द, अल्सर, अपच, हिचकी, सूजन, हार्ट बर्न और मतली आदि गैस्ट्रिक समस्याओं के कुछ सामान्य लक्षण हैं। यदि पेट में अपच, गैस, अफारा, गले में जलन या खट्टी डकारे आती हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि यही हल्की बीमारियां आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अगर आप भी एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपाय तलाश रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। जो आपको गैस्ट्रिक समस्याओं से तुरंत राहत दिलाने के साथ पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाएंगे।
अजवाइन: अजवाइन में थाइमोल नामक यौगिक पाया जाता है, जो किसी भी तरह की अपच की समस्या में आराम दिलाता है। इसके अलावा अजवाइन (Ajwain Health Benefits) में प्रोटीन, फैट, खनिज, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, थायमिन, राइबोफ्लेविन, फॉस्फोरस, आयरन और नियासिन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं।
हींग: अगर आपको पाचन एसिडिटी, कब्ज, गैस या अपच या कोई अन्य समस्या है तो आप नियमित रूप से हींग का सेवन शुरू कर दें। इससे कई फायदे होते हैं। इसके अलावा एक चम्मच हींग को पानी में घोलकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है। हींग का सेवन करने से तनाव भी कम होता है। अगर आपका खाना आसानी से नहीं पचता है तो आप सुबह एक चम्मच अजवाइन, काला नमक और हींग का मिश्रण ले सकते हैं। इससे खाना आसानी से पच जाता है।
अपच से राहत: हींग और अजवाइन के साथ काला नमक के मिश्रण का सेवन करने से अपच या एसिडिटी से भी छुटकारा मिलता है। इन तीनों का मिश्रण मेटाबॉ़लिज्म को बढ़ाता है, जिससे शरीर में अतिरिक्त फैट जमा नहीं होता है। खाली पेट इस मिश्रण के सेवन से सेहत ठीक रहती है। ऐसे तो काला नमक, अजवाइन और हींग के प्राकृतिक रूप से कोई नुकसान नहीं है लेकिन हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसकी मात्रा का बेहद ध्यान रखना चाहिए।