Tips for Arthritis Patients: बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य परेशानियां भी ज्यादा होने लगती हैं। कहा जाता है कि उम्रदराज लोगों की हड्डियां कमजोर होती हैं, इतना ही नहीं उम्र के साथ मोटापा, हृदय रोग और डायबिटीज का खतरा भी लोगों में बढ़ने लगता है। अर्थराइटिस भी इन्हीं स्वास्थ्य परेशानियों में से एक है जो शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने से हो जाती है। इससे शरीर के जोड़ों में सूजन और दर्द की परेशानी हो जाती है। अगर यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहे तो लोगों का चलना-फिरना और उठना-बैठना भी प्रभावित होता है।
ये दर्द इतना अधिक होता है जिसे केवल गठिया के मरीज ही समझ सकते हैं। अर्थराइटिस रोगियों को घुटनों में असहनीय दर्द होता है जिससे छुटकारा पाने की लोग तमाम कोशिशें करते हैं। इससे निजात दिलाने में व्यायाम भी असरदार साबित होते हैं। ये घुटनों और जोड़ों में दर्द व सूजन को कम करते हैं। साथ ही जोड़ों को लचीला बनाते हैं। हालांकि, अर्थराइटिस के मरीजों को व्यायाम करने में दिक्कतें आ सकती हैं। लेकिन इन्हें आराम-आराम से भी जरूर करना चाहिए।
एरोबिक एक्सरसाइज: अर्थराइटिस के मरीजों को हल्के एक्सरसाइज करने चाहिए। टहलने को सबसे अच्छे, असरदार और आसान व्यायामों में से एक माना जाता है। वॉक करने से ब्लड फ्लो बेहतर होता है जिससे जोड़ों में ल्यूब्रिकेशन होता है। एरोबिक एक्सरसाइज करने से जोड़ों में दर्द, पैरों की मांसपेशियों को मजबूती और फ्लेक्सिबिलिटी बेहतर होती है।
स्ट्रेचिंग: आमतौर पर स्ट्रेचिंग को लोग उतनी अहमियत नहीं देते हैं। मगर मांसपेशियों को मजबूत करने में ये अहम भूमिका निभाते हैं। स्ट्रेचिंग करने से जॉइंट्स मजबूत होते हैं। साथ ही, जोड़ों को ल्यूब्रिकेट करने और पॉश्चर को बेहतर करने में भी सक्षम है। दिन भर में एक या दो बार घुटनों को स्ट्रेच करने से इनमें लचीलापन आता है और कार्टिलेज हेल्दी होते हैं। साथ ही, अकड़न भी कम होती है।
उठक-बैठक: इस व्यायाम को रोज करने से उठने-बैठने में परेशानी कम होती है और दैनिक गतिविधियों को करना आसान होता है। इसे धीरे-धीरे करने से घुटनों में अकड़न कम होती है।
हाफ-स्क्वैट्स: जोड़ों के कामकाज को बेहतर करने में ये एक्सरसाइज कारगर साबित होता है। साथ ही, दर्द-सूजन को कम करने के लिए भी लोग हाफ-स्क्वैट्स कर सकते हैं।