भारत की राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2013 के बीजिंग की स्मॉग इमरजेंसी से कम खतरनाक नहीं है। लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने हालात इतने बिगाड़ दिए हैं कि कई इलाकों में AQI गंभीर और खतरनाक श्रेणी यानी 300 से 500 में बना हुआ है। जहरीली हवा के कारण बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा में PM2.5 और PM10 कण तय सीमा से 8–10 गुना अधिक पहुंच चुके हैं, जो शरीर के फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश करके सूजन, सांस की तकलीफ, आंखों में जलन, सिरदर्द और ब्लड प्रेशर बढ़ाने जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर रहे हैं। हवा की गुणवत्ता में फिलहाल तेजी से सुधार के संकेत नहीं दिख रहे लेकिन लोगों को इससे बचाव करना जरूरी है।
AQI यानी Air Quality Index, जिसे हिंदी में वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है। यह एक मानक पैमाना है, जिसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि किसी इलाके की हवा कितनी स्वच्छ या कितनी जहरीली है। AQI को 0 से 500 के स्केल पर मापा जाता है, 300 से ज्यादा AQI सेहत के लिए खतरा है।
हेल्थ कोच ल्यूक कोटिन्हो ने बताया हवा में घुले छोटे-छोटे जहरीले कण हमारे फेफड़ों में जाकर खून तक पहुंच जाते हैं और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। सूक्ष्म जहरीले कण हमारे फेफड़ों में घुसकर, खून में मिलकर, हमारे शरीर के उन अंगों को चुपचाप नुकसान पहुंचा रहे हैं जिनकी बदौलत हम जिंदा हैं। एक्सपर्ट ने बताया ये जहरीली हवा सिर्फ फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि दिल, दिमाग, फर्टिलिटी और इम्यूनिटी को भी प्रभावित करती है।
प्रदूषण की वजह से लोगों को होने वाली समस्याएं
आज बढ़ती थकान, लगातार खांसी, सिरदर्द, सूजन, सांस की दिक्कत बढ़ते प्रदूषण का परिणाम हैं। इन सभी परेशानियों से बचाव करना चाहते हैं तो आप चेहरे पर मास्क लगाएं, बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें।
बढ़ते प्रदूषण से करें बचाव
घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें
बढ़ता प्रदूषण दिल, दिमाग मस्तिष्क,फर्टिलिटी और इम्यूनिटी पर असर डालता है, ऐसे में आप प्रदूषण से बचाव करने के लिए घर से बाहर निकलते हुए N95 या N99 मास्क का इस्तेमाल करें। ये मास्क हवा में मौजूद सूक्ष्म पीएम 2.5 कणों को 95% तक फ़िल्टर कर देता हैं। गमछा या दूसरे मास्क प्रदूषण को नहीं रोक पाते। बच्चों, बुजुर्गों और दमा, एलर्जी या दिल के मरीजों के लिए मास्क का इस्तेमाल करना जरूरी है। मास्क पहनने से फेफड़ों, दिल और दिमाग पर प्रदूषण का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है।
सुबह-शाम बाहर व्यायाम करने से बचें
प्रदूषण के समय आउटडोर वॉक, रनिंग, साइकिलिंग और योग जैसा व्यायाम करने से बचना चाहिए, क्योंकि सांस तेज चलने के कारण ज्यादा जहरीली हवा फेफड़ों में जाती है। आप ऐसी दूषित हवा से बचने के लिए घर में ही हल्की स्ट्रेचिंग, योग, प्राणायाम और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। अगर जिम जाना जरूरी हो तो एसी और एयर-प्यूरीफाई एरिया चुनें। इससे फेफड़ों पर भार कम पड़ता है और प्रदूषण से होने वाला नुकसान सीमित रहता है।
घर की हवा साफ रखने के उपाय अपनाएं
घर की हवा भी प्रदूषण से प्रभावित होती है। इसलिए HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। खिड़कियां केवल दोपहर में कुछ देर ही खोलें जब प्रदूषण कम हो। रोज़ाना फर्श पर गीला पोछा लगाएं ताकि धूल उड़ने न पाए। कमरे में एलोवेरा, स्नेक प्लांट या मनी प्लांट जैसे एयर-प्यूरिफाइंग पौधे रखें। ये उपाय घर की इनडोर एयर क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं।
डाइट में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-C बढ़ाएं
प्रदूषण शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ाता है, जिससे फेफड़े और इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसे रोकने के लिए अपनी डाइट में आंवला, नींबू, कीवी, संतरा, स्ट्रॉबेरी, अमरूद, हरी सब्जियां, हल्दी, गाजर, चुकंदर और अखरोट जैसे एंटीऑक्सीडेंट-समृद्ध खाद्य पदार्थ शामिल करें। ये शरीर में जमा हानिकारक तत्वों को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं और फेफड़ों की कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
गर्म पानी, हर्बल ड्रिंक और भाप लें
प्रदूषण के मौसम में गुनगुना पानी पीकर शरीर को हाइड्रेट रखें। तुलसी-शहद, अदरक-काढ़ा, हल्दी वाला दूध और पुदीना चाय जैसे ड्रिंक गले और सांस की नलियों में जमा कणों को साफ करते हैं। दिन में एक बार भाप लेने से नाक और गले में अटके प्रदूषण के कण बाहर निकल जाते हैं। इससे खांसी, कफ, एलर्जी और सांस लेने की तकलीफ कम होती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता बेहतर रहती है।
धूम्रपान, शराब और तली हुई चीजों से दूर रहें
धूम्रपान पहले से ही फेफड़ों को कमजोर करता है और प्रदूषण इसका प्रभाव कई गुना बढ़ा देता है। शराब शरीर में सूजन और डिहाइड्रेशन बढ़ाती है, जिससे प्रदूषण का असर ज्यादा होता है। तैलीय और जंक फूड शरीर में टॉक्सिन बढ़ाते हैं और इम्यूनिटी घटाते हैं। इसलिए इस दौरान हल्का, घर का बना, आसानी से पचने वाला खाना खाएं। इससे शरीर प्रदूषण के प्रभावों से लड़ने में सक्षम होता है।
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