जोड़ों में दर्द (Joint Pain) अब सिर्फ बढ़ती उम्र की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह युवाओं में भी तेजी से देखने को मिल रही है। बदलती जीवनशैली, घंटों बैठकर काम करना, गलत पोस्चर और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण 30-35 साल की उम्र में ही लोग घुटनों, कमर, कंधों, कोहनी और टखनों के दर्द की शिकायत करने लगे हैं। लगातार बना रहने वाला जोड़ों का दर्द न केवल चलने-फिरने में परेशानी पैदा करता है, बल्कि उठने-बैठने, सीढ़ियां चढ़ने और रोजमर्रा के कामों को भी मुश्किल बना देता है।
जोड़ों के दर्द के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। शरीर में कैल्शियम और विटामिन D की कमी होने पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे हल्की मेहनत में भी दर्द महसूस होने लगता है। आर्थराइटिस (गठिया) में जोड़ों के अंदर सूजन और अकड़न बढ़ जाती है, जिससे सुबह के समय जकड़न ज्यादा रहती है। उम्र के साथ-साथ जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज धीरे-धीरे घिसने लगते हैं, जो सामान्य तौर पर कुशन का काम करते हैं।
इसके घिसने से हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं और दर्द बढ़ जाता है। इसके अलावा बढ़ता वजन, लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठना, पानी और पोषक तत्वों की कमी, पुरानी चोट या सूजन भी जोड़ों के दर्द को गंभीर बना सकती है। यही वजह है कि समय रहते इसके कारणों को समझना और सही देखभाल करना बेहद जरूरी हो जाता है।
आयुर्वेद में हड्डियों के दर्द का कारण और इलाज
आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द और अकड़न को मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है। जब शरीर में वात बढ़ता है, तो जोड़ों में सूखापन, जकड़न और चलने-फिरने पर दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इसी वजह से आयुर्वेद में जोड़ों की सेहत के लिए गर्म, सुपाच्य भोजन, पर्याप्त पानी, नियमित हल्का व्यायाम और गुनगुने तेल से मालिश को जरूरी माना गया है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, हरसिंगार जिसे पारिजात के नाम से भी जानते हैं, वो जोड़ों के दर्द और अर्थराइटिस में लाभकारी माना जाता है। पारिजात के पत्ते, फूल और जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर में सूजन को कम करने, दर्द को शांत करने और जोड़ों की जकड़न घटाने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में हरसिंगार को वात-शामक माना गया है, यानी ये बढ़े हुए वात दोष को संतुलित करने में सहायक होता है। नियमित और सही तरीके से पारिजात का उपयोग करने से जोड़ों में लचीलापन बढ़ सकता है और दर्द में धीरे-धीरे राहत महसूस हो सकती है।
पारिजात के पत्ते कैसे करते हैं जोड़ों के दर्द का इलाज
पारिजात जिसे नाइट जैस्मीन कहा जाता है। आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द और गठिया के इलाज के लिए 4-5 पत्तों का सेवन ही असरदार साबित होता है। चरक संहिता जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार आर्थराइटिस की मुख्य वजह वात दोष का बढ़ना है, जिससे जोड़ों में सूखापन, सूजन और अकड़न आती है। पारिजात के पत्ते वात को संतुलित करने वाले गुणों से भरपूर होते हैं।
इनमें मौजूद प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही ये शरीर से टॉक्सिन्स और अतिरिक्त यूरिक एसिड को बाहर निकालने में सहायक माने जाते हैं, जिससे जोड़ों की जकड़न घटती है और मूवमेंट में सुधार हो सकता है।
रात में मूली में ये चीज़ लगा कर रख दें और सुबह खा लें, पुराने से पुरानी एसिडिटी का होगा इलाज, देखिए कैसे खराब पाचन होगा ठीक।
