शरीर के किसी भी हिस्से जैसे गर्दन, बगल, पीठ, कमर, जांघ, स्तन या त्वचा के नीचे गांठ बनना एक आम समस्या है। अधिकतर गांठें साधारण और नुकसान न करने वाली होती हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती हैं। गांठ बनने का सबसे आम कारण स्किन के नीचे फैट सेल जमा होकर मुलायम गांठ बनना हैं। ये गांठ दर्दरहित और धीरे-धीरे बढ़ने वाली होती हैं। ज्यादातर मामलों में ये नुकसान नहीं पहुंचाती। कई बार गांठ सिस्ट (Cyst) स्किन के नीचे पानी, पस या सेबेसियस ऑयल भर जाने से बनती है। इसे Sebaceous cyst कहा जाता है। ये छूने पर गोल और मूवेबल लगती है। ये कभी-कभी लाल होकर दर्द भी कर सकती है।
किसी बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन से लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं। बुखार, दर्द या शरीर में संक्रमण की स्थिति में गांठ का बनना आम है। अधिकतर ये गांठ गर्दन, बगल और जांघों के पास होती है। महिलाओं में पीरियड, PCOS, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ में हार्मोनल असंतुलन से स्तन या गर्दन में गांठ बन सकती है। कुछ गांठें ट्यूमर या कैंसर की शुरुआती चेतावनी भी हो सकती हैं। खासकर अगर गांठ कठोर हो और लम्बे समय तक न जाए।
अगर आप भी शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ का इलाज करना चाहते हैं तो बथुआ के बीज का पानी बनाकर उसका सेवन करें। बथुआ के बीज बॉडी के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ का इलाज करते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण ने बताया जिन लोगों के लिवर में गांठ हो जाती है अगर वो रोज बथुआ के साग के बीजों का पानी पीते हैं तो उनकी गांठों का इलाज होता है। ये पानी शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ को तोड़ता है। इसका सेवन करने से कैंसर की गांठ का भी इलाज होता है। आइए जानते हैं कि बथुआ के बीज का पानी कैसे गांठों का इलाज करता है और इसका सेवन कैसे करें।
बथुआ के बीज का पानी कैसे गांठों का करता है इलाज
बथुआ के बीज का सेवन गांठ के इलाज के लिए करना चाहते हैं तो आप बथुए को तोड़कर जड़ सहित उसे डिब्बे में रखकर सुखा लीजिए। आप 10 ग्राम सूखे हुए बथुए को 400 ग्राम पानी में उबालकर पिएं। जब पानी 50 ग्राम बच जाए तो इस पानी को छानकर पिएं आपको फायदा होगा। इस पानी को रोज पीने से बॉडी के किसी भी हिस्से की गांठ घुल जाएगी। ये काढ़ा किसी भी तरह की गांठ को घोल देता है। ये सिर्फ एक साग ही नहीं है बल्कि आयुर्वेद की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है। बथुआ (Bathua) एक बेहद पावरफुल औषधीय पौधा है, जिसके बीजों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो सूजन, फैटी गांठ (Lipoma), सिस्ट और ग्रंथियों की सूजन को धीरे-धीरे कम करने में मदद कर सकते हैं। गांठ बनने का एक बड़ा कारण सूजन (Inflammation) होता है।
बथुआ के बीज में पाए जाने वाले Flavonoids और Phytochemicals सूजन को जड़ से कम करते हैं। इससे लिम्फ नोड्स की सूजन,ब्रेस्ट की गांठ, बगल, गर्दन की गांठ धीरे-धीरे कम हो सकती है। गांठ बनने का एक कारण शरीर में टॉक्सिन का जमा होना भी है। बथुआ के बीज का पानी लीवर को डिटॉक्स करता है और खून को साफ करता है। जब खून साफ होता है तो सिस्ट, फाइब्रॉइड, लिपोमा का बनना कम होता है और पुरानी गांठें भी कम होने लगती हैं। बथुआ के बीज में प्राकृतिक Fat-Melting Compounds पाए जाते हैं। यह शरीर के नीचे जमा फैटी टिश्यू को धीरे-धीरे पिघलाते हैं।
बथुआ के बीज का पानी कैसे बनाएं?
सामग्री
- बथुआ के बीज – 1 चम्मच
- पानी – 1 गिलास
विधि
रात में 1 चम्मच बथुआ बीज पानी में भिगो दें। सुबह इसे हल्का उबालकर छान लें। खाली पेट पीने से जल्द असर दिखता है। एक महीने इसे पीने से सूजन और गांठ में अंतर दिखने लगता है।
रोज पानी में उबाल कर इन पत्तों को पी लें, पैरों से लेकर बॉडी के हर अंग की सूजन और दर्द होगी गायब, आचार्य बालकृष्ण ने बताया इसे अमृत
