दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य शहरों में इस समय प्रदूषण की भीषण समस्या से जूझ रहा है, कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार पहुंच चुका है। यह स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए स्कूलों को बंद कर दिया गया है और कई प्रकार की पाबंदियां लागू की गई हैं। वायु प्रदूषण हमारे जीवन का एक अनदेखा और गंभीर संकट बन चुका है। बढ़ते प्रदूषण के कारण न केवल हमारी श्वसन प्रणाली बल्कि दिल से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है क्योंकि प्रदूषण के जहरीले कण धीरे-धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या जिनमें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है। इस बढ़ती समस्या के कारण सांस और दिल की बीमारियां तेज़ी से फैल रही हैं, जो एक खतरनाक स्थिति बनती जा रही है।

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के चेयरमैन डॉ. पीएन अरोड़ा ने कहा, “वायु प्रदूषण श्वसन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। प्रदूषण के कण श्वसन मार्ग में घुसकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ पैदा करते हैं। इसके साथ ही, प्रदूषण का दिल और ब्लड वेसल्स पर भी बुरा असर पड़ता है। वायु प्रदूषण से ब्लड वेसल्स की दीवारों पर सूजन आ जाती है, जिससे वे सख्त होने लगती हैं और ब्लड सर्कुलेशन में समस्या होती है।”

डॉ. अरोड़ा ने आगे बताया, “प्रदूषण के कारण हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण रक्तदाब को बढ़ाते हैं, जिससे दिल और ब्लड वेसल्स पर दबाव बढ़ता है। इसलिए प्रदूषण का असर सिर्फ श्वसन तंत्र तक ही सीमित नहीं रहता, यह दिल की सेहत को भी प्रभावित करता है।”

वायु प्रदूषण से बचने के लिए डॉ. अरोड़ा ने कुछ उपाय

घर में शुद्ध हवा- घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और खिड़कियां बंद रखें, खासकर जब बाहर प्रदूषण अधिक हो।
स्वस्थ आहार- प्रदूषण से बचाव के लिए विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
व्यायाम और ताजे हवा में सांस लेना- जब बाहर की हवा साफ हो, तो ताजे हवा में सांस लेने और थोड़ी देर चलने के लिए बाहर जाएं।
नियमित स्वास्थ्य जांच- दिल और श्वसन तंत्र की बीमारियों का समय-समय पर चेकअप कराना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जो प्रदूषण वाले इलाकों में रहते हैं।

डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे ताकि इस “साइलेंट किलर” के प्रभाव को कम किया जा सके। यह समस्या केवल व्यक्तिगत प्रयासों से हल नहीं हो सकती, हमें सामूहिक प्रयास और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि हम सब मिलकर इस समस्या से निपट सकें।

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