प्रेग्नेंसी प्लान करने के बाद किसी भी महिला के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। प्रेग्नेंसी के पूरे नौ महीने अगर खान-पान और लाइफस्टाइल का ध्यान नहीं रखा जाए तो महिलाओं के लिए काफी स्वास्थ जोखिम हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी ज्यादा रहती है। इस दौरान महिलाएं ज्यादा तनाव में रहती है, कई तरह का डर उन्हें सताता रहता है जिसका असर उनके बीपी के स्तर पर पड़ता है। प्री-एक्लेमप्सिया ब्लड प्रेशर से जुड़ी एक ऐसी परेशानी है जो प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों या फिर डिलीवरी के बाद होती है। ये बीमारी उन महिलाओं को होती है जिनका वजन ज्यादा होता है। इस बीमारी के लिए सेहत से जुड़े और भी कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे डायबिटीज,हाई ब्लड प्रेशर की वजह से प्रेग्नेंट महिला को प्री-एक्लेमप्सिया का खतरा अधिक रहता है।
प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों की बात करें तो चेहरे, पैरों, एड़ियों या हाथों पर बहुत ज्यादा सूजन आना, बहुत तेज या लगातार सिरदर्द होना, विजन में बदलाव होना, पसलियों के नीचे दर्द होना, मिचली और उल्टी होने जैसे लक्षण हो सकते हैं। महिलाओं में प्री-एक्लेमप्सिया की स्थिति का अगर जल्दी पता चल जाए तो जच्चा और बच्चा की सेहत का ध्यान रखा जा सकता है। प्री-एक्लेमप्सिया में मुख्य बात यह है कि इसका पता जल्दी चल जाना चाहिए ताकि गर्भ में पल रहे शिशु की नजदीकी से निगरानी की जा सके और उपचार भी किया जा सके।
अब एक नए ब्लड टेस्ट से प्रेग्नेंसी में होने वाली इस बीमारी का पहले से ही पता लगाया जा सकता है। एक नया ब्लड टेस्ट यह पता लगा सकता है कि गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी में जोखिम है या नहीं। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने एक ब्लड टेस्ट को मंजूरी दे दी है जो प्रेग्नेंसी के दौरान प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों की पहचान करेगा। NYTimes की रिपोर्ट के मुताबिक ये टेस्ट बताएगा कि महीला को प्रेग्नेंसी में बीपी हाई होने का खतरा है। प्रेग्नेंसी में बीपी हाई होने की स्थिति को ही प्री-एक्लेमप्सिया कहा जाता है।
प्री-एक्लेमप्सिया की खराब स्थिति का पहले से पता लगाता है ये टेस्ट
शिकागो मेडिसिन विश्वविद्यालय ने कहा है कि प्री-एक्लेमप्सिया की परेशानी महिलाओं में आम है जो प्रेग्नेंसी में महिलाओं की जान को खतरा पहुंचाती है और मौत का कारण बनती है। ये नया टेस्ट महिलाओं में इस बीमारी के लक्षणों की शुरूआत में ही पहचान कर लेता है। कहा जा रहा है कि इस नए ब्लड टेस्ट की 96% सटीकता है। ये थर्मो फिशर साइंटिफिक द्वारा बनाया गया है जो यूरोप में पहले से ही उपलब्ध है।
प्री-एक्लेमप्सिया एक ऐसी गंभीर स्थिति है जिससे अमेरिका में 25 में से 1 महिला पीड़ित होती है। यह स्थिति संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत महिलाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है। ये ब्लड टेस्ट दो प्रोटीन sFlt1 और PIGF का पता लगाकर अपना काम करता है। ये ब्लड टेस्ट प्रीक्लेम्पसिया से खराब स्थिति की भविष्यवाणी पहले से करता है। ये नया परीक्षण प्रारंभिक चेतावनी दे सकता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि जिन गर्भवती महिलाओं में संकेतात्मक लक्षण हैं उनमें से कौन सी महीला आने वाले दो हफ्तों में जान लेवा बीमारी से पीड़ित हो सकती है।