वीरेन्द्र कुमार गर्ग
इससे बड़ी बात यह है कि 50 फीसद से 70 फीसद लोगों को यह नहीं मालूम कि उन्हें मधुमेह है। मधुमेह रोज की जीवनशैली को प्रभावित करने वाली बीमारी है जो अब युवा पीढ़ी को भी चपेट में ले चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 42.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, जबकि 1.5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु मधुमेह के कारण ही होती है। डा गुरप्रीत सिंह डांग, वरिष्ठ सलाहकार, इंटरनल मेडिसिन, मणिपाल हास्पिटल्स, पटियाला ने बताया कि जो लोग इस रोग से पीड़ित हैं, उन्हें कोरोनरी धमनी बीमारी, ह्रदयाघात और यहां तक कि मधुमेह गुर्दा रोग का खतरा होता है।
मधुमेह गुर्दा रोग गुर्दे के काम करने की क्षमता को प्रभावित करता हैं जिसके कारण शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और गंदगी बहार नहीं निकल पाते। खून में अधिक शर्करा का स्तर गुर्दे के अंदर रक्त वाहिकाओं को पतला और बंद कर देता है। पर्याप्त रक्त के बिना, गुर्दा क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, और एल्ब्यूमिन (एक प्रकार का प्रोटीन) इन फिल्टर से होकर गुजरता है और मूत्र में चला जाता है। जहां यह नहीं होना चाहिए।
इससे गुर्दा पंगु हो सकता है और मरीज़ को डायलिसिस की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मधुमेह यूरिनरी ट्रैक्ट के संक्रमण का कारण भी बन सकता है क्योंकि अधिक शर्करा के स्तर की वजह से मूत्र में जीवाणु तेजी से बढ़ते हैं। हालांकि, मधुमेह से पीड़ित अधिकांश लोग इस बीमारी की गंभीरता को नज़रअंदाज़ करते हैं। इसके अलावा, जीवनशैली में अचानक बदलाव के कारण भी यह बीमारी फैल रही है।
तनाव अब बहुत आम हो गया है और खान- पान का बदला हुआ तरीका भी प्रभावित करता हैं। इससे रक्त में शर्करा का स्तर काफी बढ़ जाता है। नियमित जांच, उचित उपचार, समय पर दवा, बेहतर खान-पान और शुरुआती जीवनशैली में बदलाव से मधुमेह के जोखिम को कम करने में बहुत बड़ा अंतर आ सकता है। शराब के सेवन से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे न केवल ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है या गिरता है बल्कि मधुमेह की दवा के असर को भी प्रभावित करता है।
(लेखक पीजीआइ चंडीगढ़ में हैं)