डायबिटीज एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है। इस बीमारी में बॉडी में पैंक्रियाज इंसुलिन का कम उत्पादन करता है या इंसुलिन का ठीक ढंग से उपयोग नहीं करता जिससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। डायबिटीज को अगर कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये बॉडी के अलग-अलग अंगों पर असर करता है। इसका असर दिल से लेकर किडनी और आंखों तक पर पड़ता है। डायबिटीज की बीमारी पैरों को भी प्रभावित करती है। हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक अगर लम्बे समय तक ब्लड शुगर का स्तर हाई रहे तो कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

ब्लड शुगर हाई होने पर पैरों पर भी उसका असर दिखता है। डायबिटीज की बीमारी पैरों में न्यूरोपैथी और पेरिफेरल वैसक्यूलर डिजीज का कारण बन सकती है। इन दोनों बीमारियों में पैरों में कई लक्षण दिखते हैं। इन बीमारियों में पैरों में कई तरह के छाले होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे डायबेटिक अल्सर हो सकता है जिससे चलने फिरने में दिक्कत हो सकती है। ब्लड शुगर बढ़ने से पैरों में डायबेटिक सेलुलोज जमा होने लगता है जिससे पैरों की स्किन मोटी हो जाती है और पैरों में जूते नहीं जाते। जब डायबिटीज का असर पैरों पर दिखने लगता है तो कई तरह के इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। आइए जानते हैं कि ब्लड शुगर हाई होने से पैरों में कौन-कौन से वॉर्निंग साइन दिखते हैं।

पैरों में झुनझुनी महसूस होना

डायबिटीज की बीमारी नर्वस डैमेज होने का कारण बनती है जिससे पैरों में पेरिफैरल न्यूरोपैथी का खतरा बढ़ सकता है। पैरों में होने वाली इस परेशानी में पैरों में झुनझुनी महसूस होती है,पैर सुन्न रहते हैं, जलन होती है और संवेदना महसूस नहीं होती। पैरों पर मौजूद चोट को हाथ लगाने पर मरीज को दर्द का अहसास होता है जिससे संक्रमण और अल्सर हो सकता है।

ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ सकता है

ब्लड शुगर का स्तर हाई होने पर रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे पैरों में रक्त संचार बिगड़ सकता है। इस परेशानी में पैरों में ऐंठन, दर्द, कमजोरी जैसे लक्षण महसूस होते हैं और घाव बहुत धीरे से रिकवर होता है।अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो गैंग्रीन जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। स्थिति गंभीर होने पर अंग तक काटने की नौबत आ सकती है।

डायबिटिक फुट अल्सर हो सकता है

न्यूरोपैथी और खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण पैरों में अल्सर हो सकता है। पैरों का अल्सर खुले घाव होते हैं जो धीमी गति से ठीक होते हैं और उनसे संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इस अल्सर के गंभीर परिणामों से बचने के लिए पैरों की देखभाल करना और ब्लड शुगर को कंट्रोल करना जरूरी है।

पैरों में रेडनेस और सूजन का बढ़ सकता है खतरा

डायबिटीज का पैरों पर असर होने से पैरों की हड्डियां कमजोर हो जाती है और जोड़ों को नुकसान पहुंचता है। ऐसी स्थिति में पैरों में फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है। इस परेशानी में पैरों या टखनों में रेडनेस और सूजन की परेशानी होती है।

स्किन के रंग में दिखता है बदलाव

डायबिटीज के मरीजों की शुगर हाई होने पर स्किन के रंग और बनावट में भी बदलाव आने लगता है। इन मरीजों को स्किन में सूखापन, दरारें और फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा अधिक होता है।