उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों की बॉडी में शारीरिक और मानसिक बदलाव आना नेचुरल प्रोसेस है। महिलाओं और पुरुषों की बॉडी में शारीरिक और मानसिक बदलाव जीवन के विभिन्न चरणों जैसे किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में होते हैं। इन बदलावों का प्रभाव शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से देखा जा सकता है। हालांकि इन दोनों जेंडर में होने वाले बदलावों में कुछ समानताएं हो सकती हैं, लेकिन दोनों लिंगों के शरीर में कुछ विशिष्ट और अलग-अलग बदलाव अलग-अलग उम्र में होते हैं। बात करें महिलाओं की तो जन्म के बाद से महिलाओं की बॉडी में खास बदलाव प्रौढ़ावस्था (Adulthood) में आते हैं। उम्र के 20 साल की उम्र में महिलाओं की शारीरिक क्षमता अपने चरम पर होती है। इस समय शरीर में ऊर्जा, मांसपेशियां और सहनशक्ति सबसे अधिक होती हैं।

पुरुषों में 30 साल की उम्र में टेस्टोस्टेरोन का स्तर स्थिर रहता है,जैसे-जैसे उनकी उम्र 30 के आसपास पहुंचती है, टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है, जिससे मांसपेशियों की ताकत और सेक्स ड्राइव पर असर पड़ सकता है। पुरुषों में 30 साल की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरे-धीरे घटने लगता है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिसे एंड्रोजन डिफिशिएंसी या लो टेस्टोस्टेरोन (Low T) कहा जाता है।

20 से 30 साल में महिलाएं की एनर्जी का स्तर

National Institute on Aging (NIA) उम्र बढ़ने और शारीरिक सक्रियता पर कई महत्वपूर्ण रिसर्च करता है, इसके मुताबिक 20 से 30 साल में  महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं। इस उम्र में शरीर का मेटाबॉलिज्म पीक पर होता है, जिससे शारीरिक गतिविधियों में ऊर्जा का स्तर भी ऊंचा रहता है। हार्मोनल बदलाव और शरीर की क्षमता इस उम्र में चरम पर होती है।

30 से 40 साल में महिलाओं की एनर्जी का स्तर

Female Agency and its Implications on Mental and Physical Health द्वारा की गई एक रिसर्च  (Evidence from the city of Dhaka) में ढाका शहर की महिलाओं के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर रोशनी डाली गई है। रिसर्च में पाया गया है कि इस उम्र में महिलाओं में मानसिक रूप से कुछ बदलाव आ सकते हैं, जैसे कामकाजी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का बढ़ना, जिससे शारीरिक गतिविधियां कम हो सकती हैं। हालांकि अगर नियमित रूप से व्यायाम किया जाए, तो महिलाएं इस उम्र में भी मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय रह सकती हैं।

पुरुषों में ज्यादा एक्टिव होने की उम्र

कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि पुरुष और महिलाओं में बॉडी की एक्टिविटी, सेक्सुअली एक्टिव होने की उम्र अलग-अलग है। बात करें पुरुषों की तो एक मेल 18 साल से 22 साल की उम्र में ज्यादा सेक्सुअली और फिजिकली एक्टिव रहता है। इस उम्र में पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पीक पर होता है, जो पुरुषों के शरीर और यौन कार्यों पर  प्रभाव डालता है। टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर से सेक्स ड्राइव (लिबिडो) बढ़ता है, और मांसपेशियों की ताकत, शारीरिक ऊर्जा और सहनशक्ति में बढ़ोतरी होती है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव और शारीरिक विकास इस उम्र में अधिकतम होते हैं, जिससे पुरुषों में यौन इच्छाएं और शारीरिक सक्रियता पीक पर रहती है।

महिलाओं के ज्यादा एक्टिव होने की उम्र

एक फीमेल अपनी पुरी लाइफ में शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे ज्यादा एक्टिव जिस उम्र में होती है वो है 34 से 38 साल की उम्र। ये वो उम्र है जिसमें एक पुरुष अपनी जिम्मेदारियों को निभाने लगता है लेकिन महिलाएं सेक्सुअली और फिजिकली एक्टिव रहती हैं। इस दौरान महिलाओं और पुरुषों का तालमेल थोड़ा रिदमिक नहीं होता। महिलाओं की ये उम्र पुरुषों को थोड़ा परेशान करती है।

इस उम्र में महिलाओं की अर्ज बढ़ती है और वो हॉर्मोनली ज्यादा एक्टिव महसूस करती है। ऐसे में पुरुषों की अर्ज कम हो जाती है और महिलाओं की बढ़ने लगती है। महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सक्रियता का स्तर सही डाइट, व्यायाम और जीवनशैली पर भी निर्भर करता है। नियमित शारीरिक गतिविधियां और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल महिलाओं को जीवन भर एक्टिव बनाए रखने में मदद करती हैं।

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