दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court ) ने 23 मई को 2000 रुपये के नोट से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और रिजर्व बैंक के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी, जिसमें बिना किसी पहचान पत्र के 2000 रुपये का नोट बदलने की बात कही गई थी।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि वह मामले में उचित आदेश पारित करेगी। सुनवाई के दौरान एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दलील दी कि उन्होंने पूरे नोटिफिकेशन को चुनौती नहीं दी है, बल्कि उस पार्ट को चैलेंज किया है जिसमें कहा गया है कि बिना किसी आईडेंटिटी प्रूफ यानी पहचान पत्र के भी नोट बदला जा सकेगा।

RBI ने कोर्ट में क्या जवाब दिया?

एडवोकेट उपाध्याय की इस दलील पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट पराग त्रिपाठी ने कहा कि यह कोई विमुद्रीकरण (नोटबंदी) नहीं है, बल्कि वैधानिक एक्सरसाइज है। इसी क्रम में नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

याचिका में क्या-क्या मांग है?

एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में बिना किसी आइडेंटिटी कार्ड के 2000 की नोट बदलने पर सवाल उठाए हैं और इसे चुनौती दी है। उन्होंने मांग की है कि आरबीआई और सेबी इस बात को सुनिश्चित करें कि लोग 2000 का नोट अपने ही खाते में जमा करें और किसी और के खाते में न जमा कर दें। ताकि काला धन रखने वालों की पहचान की जा सके।

किस नोटिफिकेशन पर है घमासान?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि 23 मई से 30 सितंबर तक 2000 के नोट बदले जा सकेंगे।नोटों को बदलने के लिए न तो किसी तरह का फॉर्म भरना होगा और न तो कोई आईकार्ड दिखाना होगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि देश के सभी बैंकों की शाखाओं के अलावा रिजर्व बैंक के 19 रीजनल ब्रांचेज में भी 2000 के नोट बदले जा सकते हैं।

RBI गवर्नर ने कहा है कि नोट बदलने के लिए लोगों के पास 4 महीने का वक्त है। ऐसे में घबराने और पैनिक होने की जरूरत नहीं है। बैंकों के पास पर्याप्त पैसा है और नोट बदलने में कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होंने यह भी साफ किया है कि कोई भी कारोबारी संस्थान 2000 रुपये का नोट लेने से इनकार नहीं कर सकता है।

कब दिखाना होगा पहचान पत्र?

50,000 रुपये तक के 2000 के नोट जमा करने पर किसी भी तरह का कोई फॉर्म या पहचान पत्र नहीं दिखाना होगा। लेकिन यदि आप 50 हजार से ज्यादा के नोट बदलवाना चाहते हैं तो पैन कार्ड की कॉपी देनी होगी। यह व्यवस्था पहले से चली आ रही है।

क्यों लाया गया था 2000 रुपये का नोट?

2000 का नोट मुद्रा की कमी पूरी करने के लिए लांच किया गया था। जब सिस्टम में पर्याप्त रकम हो गई तब 2018-19 से इस नोट की छपाई बंद कर दी गई है। लॉन्च होने के बाद से अबतक, सर्कुलेशन में 2000 के नोट करीब 50 फीसदी घट गए हैं। रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब आरबीआई नोटों को वापस ले रहा है। ‘क्लीन करेंसी पॉलिसी’ के तहत आरबीआई पहले भी नोटों को वापस ले चुका है।

नकली नोटों की आ गई थी भरमार

2000 की करेंसी लाने का मकसद काले धन और नकली नोटों पर लगाम लगाना था, लेकिन नोटबंदी के अगले दो सालों के दौरान जो नकली नोट पकड़े गए, उसमें आधे से ज्यादा (56 प्रतिशत) 2000 रुपये के नोट थे। इसके बाद से ही एक वर्ग दो हजार की करेंसी बंद करने की मांग कर रहा था।