कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आज यानी 13 मई को आ रहे हैं। कर्नाटक न सिर्फ राजनीतिक नजरिए से देश के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक और व्यापार की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। चाहे अर्थव्यवस्था हो, टैक्स कलेक्शन हो या निर्यात, राज्य की हर मोर्चे पर बड़ी भागीदारी है। आंकड़ों से समझते हैं कि आखिर कर्नाटक देश के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
1: अगर आर्थिक विकास पर नजर डालें तो कर्नाटक की विकास दर देश के अन्य सूबों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। साल 2021-22 में जहां 12.30 लाख करोड़ था, तो वहीं 2022-23 में बढ़कर 13.26 लाख करोड़ तक पहुंच गया। राज्य की विकास दर 7.6 फीसदी है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार 7% है।
अगर पिछले 10 साल के आंकड़े पर नजर डालें तो बस दो बार 2014-15 और 2018-19 में कर्नाटक की विकास दर, देश की विकास दर से पिछड़ी है।

2: प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो कर्नाटक की पर कैपिटा इनकम भी देश की पर कैपिटा इनकम के मुकाबले कहीं ज्यादा है। राज्य की पर कैपिटा इनकम 1.64 लाख है, जबकि देश की इनकम 92583 है। इस तरह कर्नाटक में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय अनुपात से लगभग डेढ़ गुना अधिक है। कर्नाटक से आगे बस 6 राज्य- गोवा, सिक्किम, दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात और हरियाणा हैं।

3: पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई-जून 2021 के दौरान कर्नाटक में अनइंप्लॉयमेंट रेट यानी बेरोजगारी दर 3.2% थी। जबकि इसी दौरान देश में अनइंप्लॉयमेंट रेट 4.1% था। शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में कर्नाटक की बेरोजगारी दर, राष्ट्रीय दर से कहीं बेहतर है।

4: महंगाई की बात करें तो पिछले एक साल के दौरान कर्नाटक की महंगाई दर देश की दर के मुकाबले कहीं कम थी। मार्च 2023 में रिटेल इन्फ्लेशन 5.8% था, जबकि इसी दौरान देश की खुदरा महंगाई दर 5.66% थी।

5: कर्नाटक देश के अग्रणी निर्यातक राज्यों में शुमार है। 2021-22 के दौरान कर्नाटक ने कुल 25874. 50 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया। जो देश के कुल एक्सपोर्ट का 6.13% था। कर्नाटक से आगे महज तीन राज्य गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु हैं।

6: अब बीपीएल पॉपुलेशन यानी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की बात करें तो साल 2013 में तेंदुलकर सिद्धांत के आधार पर तैयार डाटा के मुताबिक राज्य में 20.4% लोग बीपीएल कैटेगरी में हैं। जबकि राष्ट्रीय डाटा 21.92 फीसदी का है। इस तह राज्य का बीपीएल पॉपुलेशन भी राष्ट्रीय औसत से है कम है। हालांकि राज्य के शहरी इलाकों में राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा बीपीएल लोग हैं।

7: कर्नाटक डायरेक्ट टैक्स में योगदान देने वाला तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। साल 2021-22 के दौरान कर्नाटक ने 1.68 लाख करोड़ रुपए का योगदान दिया। जो देश के कुल डायरेक्ट टैक्स का करीब 12% है। कर्नाटक से आगे बस महाराष्ट्र था।