कई ऐसी बीमारियां हैं, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा आम हैं। 30 साल की उम्र के बाद पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां ज़्यादा कमज़ोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जो कम बोन डेंसिटी और हड्डी के टिश्यू के बिगड़ने के कारण होती है। इस बीमारी की वजह से हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 46 मिलियन से अधिक महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) से पीड़ित हैं। दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ. प्रियंका सुहाग कहती हैं कि 50 वर्ष की आयु के बाद, हर 2 में से एक महिला को ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका रहती है। वह कहती हैं कि महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनकी हड्डियां, पुरुषों की हड्डियों की तुलना में थोड़ी कॉम्पैक्ट और कम मोटी होती हैं। मेनोपॉज़, ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ावा देता है।
ऑस्टियोपोरोसिस का कारण? (Osteoporosis Causes)
एक स्वस्थ जीवनशैली, हड्डियों के स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाती है। लंबे समय तक काम करने के कारण, फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। निष्क्रियता के कारण हड्डियों में अकड़न, पैरों में लगातार ऐंठन और दर्द हो सकता है। मोटापा भी कमजोर हड्डियों की एक प्रमुख वजह है, क्योंकि अधिक वजन हड्डियों और जोड़ों पर बहुत अधिक दबाव डालता है। इसके अलावा लगातार धूम्रपान और शराब भी हड्डियों की सेहत के लिए घातक है।
डॉ. प्रियंका कहती हैं कि धूम्रपान के दौरान शरीर में फ्री रेडिकल्स उत्पन्न होते हैं, जो न केवल हड्डियों के लिए हानिकारक होते हैं, बल्कि फेफड़ों और अन्य प्रमुख अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ये रेडिकल्स हड्डियों के निर्माण में मदद करने वाली कोशिकाओं को मार सकते हैं, इसलिए हड्डियों की डेंसिटी कम हो जाती है। इसी तरह शराब का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हार्मोन के स्राव को भी कम करता है। इसके अलावा, अतिरिक्त सोडियम का सेवन भी हड्डियों के लिए जोखिम भरा होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Osteoporosis Symptoms)
- पीठ में लगातार दर्द
- शरीर में अकड़न
- कमज़ोरी और थकान महसूस होना
- पीठ में किसी भी तरह का उभार
- बार-बार फ्रैक्चर आना
क्या कहता है WHO?
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO भी अपनी एक रिपोर्ट में ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की जो प्रमुख वजह बताता है, उसमें भी फिजिकल इनएक्टिविटी (Physical inactivity), सिगरेट और शराब का सेवन और बॉडी मास इंडेक्श शामिल है। एक्सरे, अल्ट्रासाउंड अथवा टोमोग्राफी और रेडियोग्राफी के जरिये इसका पता लगाया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज़ का क्या कनेक्शन है?
डॉ. प्रियंका सुहाग कहती है कि मेनोपॉज़ में महिलाओं की ओवरीज़ से अंडे बनना बंद हो जाते हैं, और एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम हो जाता है। यह जानना बहुत ज़रूरी है कि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए ये हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजेन हड्डियों के टूटने को रोकता है और कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जब मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजेन का स्तर गिरता है, तो हड्डियों का कम हो जाता है और इससे ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है।

महिलाओं के लिए मेनोपॉज़ और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच के संबंध को समझना बहुत ज़रूरी है, ताकि वे अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कदम उठा सकें। सबसे जरूरी कदम है लाइफस्टाइल में बदलाव, जैसे कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार, नियमित व्यायाम, और धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना।
मेनोपॉज़ के बाद कैसे बोन डेंसिटी को मेंटेन रख सकते हैं?
डॉ. सुहाग कहती हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित महिलाएं मेडिकेशन थेरेपी भी ले सकती हैं। कई ऐसी दवाएं हैं जो फ्रैक्चर के जोखिम को कम कर सकती हैं। हालांकि इन दवाओं के साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं और जरूरी नहीं कि ये सभी के लिए उपयुक्त हों।
खानपान में क्या बदलाव जरूरी?
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए संतुलित पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है। हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन, पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर फलों को डाइट में शामिल करें। तरल पदार्थ का सेवन करें। साथ ही, उम्र, ऊंचाई और वजन के हिसाब से कितनी कैलोरी का सेवन करना है, यह भी पता होना चाहिए।