पिछले तीन दिनों में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से करीब 20 लोगों की मौत हुई है। इस दौरान इन दोनों राज्यों के अलग-अलग इलाकों में भारी बारिश हुई थी। भूस्खलन और बाढ़ से रेल और सड़क यातायात बाधित है। कई जगहों पर मकानों के गिरने से लोगों की निजी संपत्ति भी बर्बाद हुई है।

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बादल फटना किसे कहते हैं?

बादल फटने के विज्ञान को समझने से पहले उसकी परिभाषा जान लेते हैं। मौसम विभाग कहता है कि अगर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर या उससे ज़्यादा बारिश छोटे इलाके में ( एक से दस किलोमीटर) हो जाए तो उस घटना को बादल फटना माना जाएगा। यानी सिर्फ तेज बारिश या ज्यादा बारिश को बादल फटने की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, उसके लिए तय मानदंड का पूरा होना जरूरी है। कई बार एक साथ एक ही जगह पर एक से ज्यादा बादल फट जाते हैं, ऐसी स्थिति में त्रासदी का स्तर बढ जाता है।

जानमाल के नुकसान उस परिस्थिति में भी अधिक होता है, जब  CloudBurst नदी या झील के आस पास हो। ऐसे में वाटर बॉडी में अचानक इतना पानी भर जाता है कि आस-पास के रिहायशी इलाके डूबने लगते हैं। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे इलाकों में बादल फटने से अधिक नुकसान होता है।

बादल क्यों फटते हैं?

जब भी नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और पानी की बूंदे आपस में मिलकर बादल का घनत्व बढ़ा देती हैं, तो बादल फट जाता है। यानी एक साथ बहुत बारिश हो जाती है। यह पानी से भरे किसी बड़े गुब्बारे के फटने जैसा होता है। इस घटना का होना पूरी तरह भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

बादल फटने की घटना पहाड़ी इलाकों में अधिक होती है क्योंकि वहां वैसी परिस्थितियों आसानी से बन जाती है। इसका मतलब यह नहीं है कि CloudBurst मैदानी इलाकों जैसे दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश नहीं हो सकते। बादल फटने की घटना सामान्य तौर पर जमीन से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है।

बढ़ रही हैं CloudBurst की घटनाएं?

अभी तक ऐसा कोई लॉन्ग टर्म ट्रेंड नजर नहीं आ रहा, जिसके आधार पर यह कहा जा सके बादल फटने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। हालांकि इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि अत्यधिक वर्षा की घटनाएं, साथ ही अन्य मौसमों की आक्रामकता में बढ़ोत्तरी हुई है। मौसम की अति का संबंध सिर्फ भारत से नहीं है। इससे पूरी दुनिया प्रभावित है। जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार इस तरह के पैटर्न से पता चलता है कि बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।

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First published on: 22-08-2022 at 19:18 IST