समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ लगातार सुनवाई कर रही है। 26 अप्रैल को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक बार फिर अपना पक्ष रखा और दोहराया कि मामले को संसद पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने शुरुआत में ही कहा कि न सिर्फ एक न्यायिक अधिकारी के रूप में, बल्कि एक नागरिक के रूप में भी यह अदालत बहुत जटिल विषय से निपट रही है और इसके गहरे सामाजिक निहितार्थ हैं।

SG तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले से जुड़े सारे सवाल संसद पर छोड़ देने चाहिए। नवतेज मामले में कोर्ट ने सेक्सुअल ओरिएंटेशन के अधिकार को मान्यता दी थी, लेकिन इस केस में वास्तविक सवाल यह है कि शादी क्या है और किसके बीच होगी। इस पर फैसला कौन देगा? इस न्यायालय की विधायी नीति पारंपरिक पुरुष और पारंपरिक महिला की शादी को मान्यता देने की रही है। सभी कानून भी पारंपरिक रूप में इसे ही सही पाते हैं। लेकिन बार लॉर्डशिप के सामने यह बहस हो रही है।

केंद्र ने फिर कहा- मामले को संसद पर छोड़ना बेहतर

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यहां सवाल यह है कि क्या न्यायालय के समक्ष एक सामाजिक संस्था के रूप में विवाह के अधिकार के लिए प्रार्थना की जा सकती है? और फिर क्या राज्यों को विवाह की नई परिभाषा गढ़ने के लिए बाध्य करना सही है? यह संसद तो कर सकती है, लेकिन कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। सॉलिसिटर मेहता ने एक बार फिर दोहराया कि इस मामले पर और आगे बढ़ना उचित नहीं है। इसे यहीं छोड़ देना चाहिए ताकि संसद इस पर कोई निर्णय ले सके या कानून बना सके।

अगर मान्यता दी तो रेगुलेट कैसे करेंगे?

एसजी मेहता ने दलील दी कि यदि समलैंगिक शादी (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता दे दी जाए तो इसको रेगुलेट कैसे किया जाएगा? मैं लॉर्डशिप के सामने कुछ ऐसे उदाहरण पेश करना चाहता हूं, जो कानूनी मान्यता के बाद पैदा हो सकती हैं और सिर्फ संसद ही इससे निपटने में सक्षम है। एसजी ने हिंदू मैरिज एक्ट से लेकर बहुविवाह जैसे कई उदाहरण दिए।

और फिर किया पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ का जिक्र

एसजी तुषार मेहता ने अपने सबमिशन के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पिता और पूर्व चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के एक जजमेंट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने गुरुबख्श सिंह केस में कहा था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के काम में दखल नहीं देना चाहिए। एसजी ने मुस्कुराते हुए कहा कि ‘यह चंद्रचूड़ भी इस केस में ऐसा ही कह सकते हैं…’।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्या जवाब दिया?

इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने जवाब देते हुए कहा कि न्यायिक शक्तियों पर ये फैसले पूरी तरह सेटल्ड हैं। लेकिन इस तर्क से तो हमें मेनका गांधी से लेकर सायरा बानो जैसे केस पर पुनर्विचार करने होंगे और मेरा मानना है कि आपका सबमिशन भी यह नहीं है।

क्या है गुरबख्श सिंह मामला?

गुरबख्श सिंह सिब्बिया बनाम पंजाब सरकार मामले (1980) में वाईवी चंद्रचूड़ ने क्रिमनल लॉ के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाई थी। उन्होंने अग्रिम जमानत के कानून को लेकर महत्वपूर्ण टिप्‍पणी की थी। वाईवी चंद्रचूड़ ने कहा था, “अग्रिम जमानत लेने का फैसला उन जजों पर छोड़ देना चाहिए जिनके पास समझदारी भरा निर्णय लेने का अनुभव है।”