Old Pension Scheme vs National Pension Scheme: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने राज्यों को दोबारा पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने को लेकर चेताया है। आरबीआई ने कहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) से राज्यों पर आने वाले सालों में बेतहाशा वित्तीय बोझ बढ़ेगा, जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा। आरबीआई के मुताबिक कुछ राज्य दोबारा पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर रहे हैं, इसकी वजह से बड़ा आर्थिक संकट मंडरा रहा है।
RBI ने OPS को लेकर क्या कहा?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी ‘Report on State Finances’ में कहा है कि राज्यों के इस कदम से राजकोषीय संसाधनों का वार्षिक बचत अल्पकालीन रह जाएगा। राज्य मौजूदा खर्चों को स्थगित कर ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) की तरफ लौट रहे हैं, इससे वित्तीय बोझ बढ़ता जाएगा। RBI के मुताबिक साल 2022-23 के बजट ऐस्टीमेट के मुताबिक राज्यों के पेंशन भुगतान पर खर्च करीब 16% बढ़ने की संभावना है। 2022-23 में यह 463,436 करोड़ तक पहुंच सकता है। इससे पिछले वित्तीय वर्ष में पेंशन भुगतान का खर्च 399,813 करोड़ था।
5 राज्य लागू कर चुके हैं ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की चेतावनी ऐसे वक्त में आई है, जब एक के बाद एक और राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) की तरफ लौट रहे हैं, जिसे साल 2004 में खत्म कर दिया गया था। ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस लागू किया था। पिछले कुछ महीनों के दौरान राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान किया है।
क्या है OPS और NPS में फर्क? (OPS vs NPS)
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50% मंथली पेंशन के रूप में मिलता था। जिसका सरकारी खजाने से भुगतान किया जाता था। साथ ही GPF की सुविधा भी मिलती थी। तब सरकार का तर्क था कि उसके पास पेंशन भुगतान के लिए कोई स्थिर संसाधन नहीं है। इसे राजकोषीय बोझ बताया गया था। बाद में ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने के बाद 1 जनवरी 2004 से NPS लागू किया गया। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एनपीएस को अनिवार्य कर दिया गया था। साथ ही सभी राज्यों ने भी इसे अपने यहां लागू किया था।
एनपीएस (What is NPS) को पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) मॉनीटर करता है। इसके तहत कर्मचारियों के पास अलग-अलग सेविंग स्कीम चुनने का विकल्प होता है और अपनी सैलरी का 10% NPS में जमा कर सकते हैं। जबकि सरकार, एनपीएस अकाउंट में 14% योगदान देती है। दिसंबर 2022 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकारों के 59.78 लाख कर्मचारी एनपीएस में रजिस्टर हैं।