भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका 10वां और दूसरे कार्यकाल का आखिरी भाषण था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष के अपने भाषण में देशवासियों को ‘परिवारजन’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे लंबे भाषण में गुलामी की मानसिकता, भारत के विकास, भ्रष्टाचार आदि पर बात की।

मणिपुर पर बोलते हुए पीएम ने कहा, “पिछले कुछ सप्ताह नार्थ-ईस्ट में विशेषकर मणिपुर में और हिन्दुस्तान के भी अन्य कुछ भागो में, लेकिन विशेषकर मणिपुर में जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ, लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं, देश मणिपुर के लोगों के साथ है। देश मणिपुर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाई रखी है, उस शांति के पर्व को आगे बढ़ाए और शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा। और राज्य और केंद्र सरकार मिलकर के उन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है, करती रहेगी।”

प्रधानमंत्री ने बिना कांग्रेस या इंडिया गठबंधन का नाम लिए कहा, “परिवारवाद ने देश को जिस प्रकार से जकड़ करके रखा है उसने देश के लोगों का हक छीना है, और तीसरी बुराई तुष्टिकरण की है। यह तुष्टिकरण में भी देश के मूल चिंतन को, देश के सर्वसमावेशक हमारे राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगा दिए हैं। तहस-नहस कर दिया इन लोगों ने। और इसलिए मेरे प्‍यारे देशवासियों, इसलिए मेरे प्‍यारे परिवारजनों हमें इन तीन बुराइयों के खिलाफ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है। भ्रष्‍टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण यह चुनौतियां, ये ऐसी चीजें पनपी है जो हमारे देश के लोगों का, जो आकांक्षाएं है, उसका दमन करती है।”

आइए एक नजर डालते हैं लाल किला से दिए प्रधानमंत्री मोदी के अब तक के भाषणों पर…

2014: सबको साथ लेकर चलने का संकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए अपने पहले भाषण में खुद को लुटियंस दिल्ली के बाहर का व्यक्ति बताया था। साथ ही उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की बात कही थी और विपक्ष के योगदान को स्वीकार किया था।

पीएम ने कहा, “मैं आपके बीच प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, प्रधान सेवक के रूप में उपस्थित हूं। मैं दिल्ली के लिए एक बाहरी व्यक्ति हूं… मैं यहां के संभ्रांत वर्ग के बीच काफी अलग-थलग हूं। पिछले दो महीनों के दौरान… मैंने अंदर का नजारा देखा और मैं आश्चर्यचकित रह गया। यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय नीति का मंच है और इसलिए, मेरे विचारों का मूल्यांकन राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं किया जाना चाहिए।”

उन्होंने वैदिक वाक्य संगच्छध्वम् का आह्वान करते हुए कहा, “हम साथ चले, हम मिलकर चले, मिलकर सोचें और मिलकर संकल्प करें। और एक साथ मिलकर देश को आगे ले लचे हैं। कल, नई सरकार का पहला संसदीय सत्र संपन्न हुआ। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि संसद का ये सत्र हमारी सोच को दर्शाता है, हमारे इरादों को दर्शाता है। हम बहुमत के आधार पर आगे बढ़ने के पक्ष में नहीं हैं… हम मजबूत सर्वसम्मति के आधार पर आगे बढ़ना चाहते हैं।”

उन्होंने आगे कहा था, “…हमें सभी दलों को साथ लेकर कंधे से कंधा मिलाकर चलने में अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई है। और इसका श्रेय सिर्फ प्रधानमंत्री को नहीं जाता, इसका श्रेय सरकार में बैठे लोगों को नहीं जाता, इसका श्रेय प्रतिपक्ष को भी जाता है, इसका श्रेय प्रतिपक्ष के सभी नेताओं को भी जाता है… मैं लाल किले की प्राचीर से बड़े गर्व के साथ सभी सांसदों को प्रणाम करता हूं, सभी राजनीतिक दलों को भी प्रणाम करता हूं और उनके मजबूत समर्थन के कारण हम कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सके…”

2015: भ्रष्टाचार पर रहा फोकस

पीएम ने 2015 के अपने संबोधन में कहा था, “मैं सवा सौ करोड़ लोगों की टीम इंडिया से कहना चाहता हूं कि यह देश भ्रष्टाचार मुक्त हो सकता है।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बनने के पहले एक वर्ष में भ्रष्टाचार के सिर्फ 800 केस हुए थे। 800.. भाइयों-बहनों हमने सत्ता में आने के बाद हम तो नये हैं.. अब तक One Thousand Eight Hundred – 1800 केस हम दर्ज करा चुके हैं और अफसरों के खिलाफ हमने कार्रवाई शुरू की है। सरकार के मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। आप कल्पना कर सकते हैं हमारे आने से पहले एक साल में 800 और हमारे बाद 10 महीने के भीतर-भीतर 1800, यह बताता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का हमारा माद्दा कैसा है। ये दिखाता है कि हमारी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता, press conference करके हमने नहीं जताई है हमने धरती पर कदम उठा करके जताई है और हमने परिणाम पाया है।”

2016: बलूचिस्तान के लोगों को व्यक्त किया आभार

पीएम ने आतंकवाद और माओवाद के बारे में बात की और एक नई स्वास्थ्य सेवा योजना की घोषणा की, जिसके तहत बीपीएल परिवार प्रति वर्ष 1 लाख रुपये तक का इलाज कराने के हकदार होंगे। उन्होंने अपने भाषण में विदेश नीति और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जुड़े मुद्दे भी उठाए।

पीएम ने कहा, “पिछले कुछ दिनों से बलूचिस्तान के लोगों ने, Gilgit के लोगों ने, पाक Occupied कश्मीर के लोगों ने, वहां के नागरिकों ने जिस प्रकार से मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है, जिस प्रकार से मेरा आभार व्यक्त किया है, मेरे प्रति उन्होंने जो सद्भावना जताई है, दूर-दूर बैठे हुए लोग जिस धरती को मैंने देखा नहीं है, जिन लोगों के विषय में मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन ऐसे दूर सुदूर बैठे हुए लोग हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री को अभिनन्दन करते हैं, उसका आदर करते हैं, तो मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का आदर है, वो मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। और इसलिए ये सम्मान का भाव, धन्यवाद का भाव करने वाले बलूचिस्तान के लोगों का, Gilgit के लोगों का, पाक के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों का मैं आज तहे दिल से आभार व्यक्त करना चाहता हूं।”

2017: “भारत जोड़ो”

पीएम ने “दिव्य” और “भव्य भारत” के निर्माण की बात की और “आस्था” के नाम पर हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा, “आस्था के नाम पर हिंसा खुश होने वाली बात नहीं है, इसे भारत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

यह देखते हुए कि 2017 भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ थी, मोदी ने कहा कि उस वक्त नारा था भारत छोड़ो और आज हमारा नारा है, ‘भारत जोड़ो’

2018: रिपोर्ट कार्ड

अपने पहले कार्यकाल (2014-19) के आखिरी स्वतंत्रता दिवस संबोधन में पीएम ने अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों का एक रिपोर्ट कार्ड पेश किया, जिसमें भारत को 100% खुले में शौच से मुक्त बनाना, विद्युतीकरण, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान करना शामिल है था। उन्होंने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की भी बात कही थी।

2019: वैचारिक एजेंडे को बढ़ाया आगे

प्रचंड बहुमत के साथ लौटने के बाद पीएम ने अपने 2019 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण का इस्तेमाल अपनी सरकार के वैचारिक एजेंडे – अनुच्छेद 370 और तीन तलाक – को स्पष्ट करने के लिए किया और जल जीवन मिशन जैसी नई पहल की बात की।

पीएम ने कहा, “अनुच्छेद 370, 35A।  क्या कारण था? इस सरकार की पहचान है – हम समस्याओं को टालते भी नहीं हैं और न ही हम समस्याओं को पालते हैं। अब समस्याओं को टालने का भी वक्त नहीं है,  अब समस्याओं का पालने का भी वक्त नहीं है। जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, नई सरकार बनने के बाद, 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का काम भारत के दोनों सदनों ने, राज्यसभा और लोकसभा ने, दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि हर किसी के दिल में यह बात थी, लेकिन प्रारंभ कौन करे, आगे कौन आये, शायद उसी का इंतजार था और देशवासियों ने मुझे यह काम दिया और जो काम आपने मुझे दिया मैं वही करने के लिए आया हूं। मेरा अपना कुछ नहीं है।”

अपने इस भाषण में पीएम ने जल जीवन मिशन पर भी विस्तार से चर्चा की, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध कराना है।

2020: कोविड, आत्मनिर्भरता

कोविड-19 के वर्ष में प्रधानमंत्री ने महामारी और “आत्मनिर्भर” होने की आवश्यकता के बारे में बात की। पीएम ने कहा, “130 करोड़ से अधिक भारतीयों ने कोरोना वायरस महामारी के बीच ‘आत्मनिर्भर’ बनने का फैसला किया है। आत्मनिर्भर बनना अनिवार्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत इस सपने को साकार करेगा। मुझे भारतीयों की क्षमताओं, आत्मविश्वास और क्षमता पर भरोसा है। जब हम एक बार कुछ करने की ठान लेते हैं, हम तब तक आराम नहीं करते, जब तक कि हम उस लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते।”

2021: 2047 का विज़न

2021 में पीएम ने सभी भारतीयों से 2047 तक नए भारत के निर्माण के लिए प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आज मैं अनुरोध कर रहा हूं… कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किया।

मोदी ने कहा, “100% गांवों में सड़कें होनी चाहिए, 100% परिवारों के पास बैंक खाता होना चाहिए, 100% लाभार्थियों के पास आयुष्मान भारत कार्ड होना चाहिए, 100% पात्र व्यक्तियों के पास उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन होना चाहिए और 100% लाभार्थियों के पास आवास होना चाहिए।”

2022: “पंच प्राण”

पिछले साल अपने नौवें स्वतंत्रता दिवस भाषण में मोदी ने देश के लोगों से आने वाले 25 वर्षों के लिए “पंच प्रण” (पांच संकल्प) पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया था।

पीएम ने कहा, “जब मैं पंचप्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा। बहुत बड़े संकल्प लेकर के चलना होगा। और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत, अब उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। बड़ा संकल्प- दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारी आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी कोई है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत-प्रतिशत, शत-प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी ने जहां हमें जकड़ कर रखा है, हमें हमारे मनोभाव को बांध करके रखा हुआ है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा करके रखी हैं। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी कहीं नजर आती है, हमारे भीतर नजर आती है, हमारे आस-पास नजर आती है हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। ये हमारी दूसरी प्रण शक्ति है। तीसरी प्रण शक्ति, हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए, हमारी विरासत के प्रति क्‍योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्‍वर्णिम काल दिया था। और यही विरासत है जो समयानुकूल परिवर्तन करने आदत रखती है। यही विरासत है जो काल-बाह्य छोड़ती रही है। नित्य नूतन स्वीकारती रही है। और इसलिए इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण वो भी उतना ही महत्वपूर्ण है और वो है एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया, एकता की ताकत, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है। और पांचवां प्रण, पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य, नागरिकों का कर्तव्य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता, मुख्‍यमंत्री भी बाहर नहीं होता वो भी नागरिक है। नागरिकों का कर्तव्‍य। ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्रण शक्ति है।”