यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि आखिर मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला क्यों दर्ज किया गया। 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान जब कश्यप के वकील ने सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को बताया कि उनके क्लाइंट पर NSA लगाया गया है, तो CJI भी हैरान नजर आए?

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से पूछा कि आखिर इस आदमी के खिलाफ ऐसा प्रतिशोध क्यों? आखिर एनएसए क्यों लगाया गया? चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सारी एफआईआर क्लब कर देंगे।

मीलॉर्ड, यहां-वहां घसीटने की इजाजत न दें

सुनवाई के दौरान मनीष कश्यप के वकील सिद्धार्थ दवे ने प्रोडक्शन वारंट (Production Warrant) का जिक्र किया और सीजेआई से गुहार लगाते हुए कहा कि, ‘मीलॉर्ड, कृपया प्रोडक्शन वारंट के जरिए हमें यहां-वहां घसीटने की इजाजत न दें…’। इसपर चीफ जस्टिस ने पूछा कि मनीष कश्यप अभी कहां हैं? सिब्बल ने कहा कि मदुरई के सेंट्रल जेल में हैं। सीजेआई ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता (मनीष कश्यप) को मदुरई की सेंट्रल जेल से और कहीं न ले जाया जाए।

क्या हैं मनीष कश्यप के खिलाफ आरोप?

बिहार के यू-ट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) पर तमिलनाडु में कथित तौर पर बिहार के प्रवासियों पर हमले से जुड़ा फेक न्यूज फैलाने का आरोप है। कश्यप के खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में कुल 6 मामले दर्ज हैं। मनीष कश्यप को 5 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। बाद में तमिलनाडु पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर लेकर गई और कश्यप के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत मामला भी दर्ज कर लिया था।

क्या होता है प्रोडक्शन वारंट? What is Production Warrant

सीआरपीसी की धारा 267 में प्रोडक्शन वारंट का प्रावधान है। किसी मामले की जांच के दौरान आरोपी अथवा अपराध के तथ्यों और परिस्थितियों से वाकिफ व्यक्ति का बयान दर्ज करने के लिए अथवा अटेंडेंश लगाने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया जाता है। पुलिस सीआरपीसी की धारा 267 के तहत, संबंधित न्याय क्षेत्र अथवा आपराधिक अदालत से प्रोडक्शन वारंट के लिए संपर्क कर सकती है।

प्रोडक्शन वारंट पर HC का अहम फैसला

प्रोडक्शन वारंट को लेकर हाल ही में जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट का एक फैसला काफी चर्चित रहा। हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्यायालय, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराध किया गया है और उससे सीआरपीसी की धारा 267 के तहत प्रोडक्‍शन वारंट की मांग की गई है, वह सिर्फ इस आधार पर प्रोडक्‍शन वारंट का आवेदन खारिज नहीं कर सकता है कि उसके समक्ष कोई मामला लंबित नहीं है।