विश्वनाथ प्रताप सिंह भले ही हिंदी पट्टी में इतिहास की किताबों तक ही सीमित रह गए हों। लेकिन अब हिंदी पट्टी से बहुत दूर तमिलनाडु में वीपी सिंह की आदमकद मूर्ति लग रही है। वीपी सिंह को इस दक्षिण भारतीय राज्य में मंडल मसीहा कहा जाता है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को घोषणा की कि उनकी सरकार वीपी सिंह का सम्मान करने और तमिल समाज की ओर से ‘आभार’ व्यक्त करने के लिए चेन्नई में ऐसी प्रतिमा स्थापित करेगी।

प्रतिमा की घोषणा करते समय वीपी सिंह के योगदान को गिनाते हुए स्टालिन ने कहा, “बीपी मंडल आयोग की विभिन्न सिफारिशों में से एक था ओबीसी को 27% प्रतिशत आरक्षण देना। वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया। कावेरी नदी का मुद्दा, जो तमिलनाडु के लोगों की लाइफ लाइन है, उसके लिए वीपी सिंह ने कावेरी न्यायाधिकरण के गठन में मदद की।

इस घोषणा के तुरंत बाद वीपी सिंह की पोती अद्रीजा मंजरी और ऋचा मंजरी ने सोशल मीडिया के जरिए सीएम स्टालिन को धन्यवाद दिया।

वीपी सिंह, OBC आरक्षण और DMK

वीपी सिंह ने कई दलों के सहयोग से जनता दल सरकार का नेतृत्व किया था। वह प्रधानमंत्री बने थे। उनकी सरकार को भाजपा ने भी बाहर से समर्थन दिया था। सिंह ने अगस्त 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू कर ओबीसी आरक्षण को सच बनाया था। बीपी मंडल आयोग की यह रिपोर्ट 1970 के दशक से लंबित था।

यह तब जोखिम भरा काम था। उन्हें कई पक्षों के विरोध का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से उच्च जाति समूहों (सिंह स्वयं एक ठाकुर थे) और अपने सहयोगियों के साथ-साथ सड़कों पर गुस्साए प्रदर्शनकारियों का। सिंह को DMK में एक दृढ़ सहयोगी मिला, जिसका नेतृत्व एम करुणानिधि कर रहे थे। DMK जनता दल सरकार में एक सहयोगी थी, जिसके नेता मुरासोली मारन केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और दिल्ली में पार्टी का चेहरा थे।

नवंबर 1990 में सिंह की सरकार गिर गई। राम मंदिर आंदोलन को लेकर भाजपा के साथ उनके मतभेद बढ़ते गए। दूसरी तरफ DMK के साथ उनके संबंध मधुर हुए। पेरियार के नेतृत्व में सोशल जस्टिस मूवमेंट से उभरने के बाद द्रविड़ पार्टियों ने पिछड़े वर्ग के नेताओं के शीर्ष पर पहुंचने के लिए दरवाजे खोल दिया था। इसका मतलब यह था कि तमिलनाडु शायद एक ऐसा राज्य था जहां मंडल आयोग की स्थापना का पूरे दिल से स्वागत किया गया। पैनल में संयोग से तमिलनाडु में ओबीसी मछुआरा समुदाय के सदस्य सुब्रमण्यम शामिल थे।

विश्वास मत खोने और वीपी सिंह सरकार के पतन के बाद करुणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके और द्रविड़ कड़गम (डीएमके के पूर्ववर्ती डीके) ने मंडल आयोग के कार्यान्वयन के समर्थन में चेन्नई और कन्याकुमारी के बीच चार दिनों में कई जनसभाओं का आयोजन किया।

इन रैलियों में वीपी सिंह की प्रमुख उपस्थिति होती थी। आम जनता के लिए उनके अंग्रेजी भाषणों का अनुवाद किया गया। इन आयोजनों को तमिल मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया था।

किसके सुझाव पर लग रही है मूर्ति

ऐसा माना जाता है कि डीके के एक अनुभवी नेता और पार्टी के मुखपत्र ‘विदुथलाई’ के आकार देने वाले विदुथलाई राजेंद्रन ने दिसंबर 2022 में स्टालिन को वीपी सिंह की मूर्ति लगवाने का सुझाव दिया था। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने के बाद जब वीपी सिंह तमिलनाडु में भाषण देते थे, तो राजेंद्रन उन भाषणों को व्यापक रूप से कवर करने वालों में से एक थे।

स्टालिन एक सामाजिक न्याय मंच स्थापित करने के लिए समान विचारधारा वाले भाजपा विरोधी दलों की मांग कर रहे हैं, हाल में ऐसी ही एक बैठक हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई, जिसमें एक दर्जन से अधिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

अपने भाषणों में वीपी सिंह क्या कहते थे?

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, राजेंद्रन कहते हैं, “अपने भाषणों में सिंह कहते थे कि दिल्ली भारत की राजधानी हो सकती है, लेकिन तमिलनाडु सामाजिक न्याय की राजधानी है। वह सरल शब्दों में यह भी समझाते थे कि ओबीसी के लिए आरक्षण क्यों लाया गया था। उन्होंने अपने लगभग सभी भाषणों में तर्क दिया कि दक्षिण ने उत्तरी राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया, जिसका श्रेय सामाजिक न्याय के उपायों और नीतियों को दिया। उन्होंने तर्क दिया कि ओबीसी के लिए 27% आरक्षण के माध्यम से सत्ता का समान वितरण उनका उद्देश्य था। उन्होंने जोर देकर कहा कि सामाजिक न्याय के लिए खड़े होने के लिए अपनी सरकार को खोने पर उन्हें गर्व है।”