आदिवासियों के लिए एक अलग सूबा यानि भील प्रदेश की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। गुजरात और राजस्थान के चुनाव जल्दी होने हैं। इन दोनों जगहों पर ये आबादी भारी तादद में है। जाहिर है कि ये मांग समय के हिसाब से तेज की जा रही है।
ये है भील प्रदेश का तानाबाना
इसमें गुजरात के 16 जिले शामिल हैं। इनमें बनासकांठा, सवरकांठा, अरावली, महिदसागर, वडोदरा, भरूच, सूरत और पंचमहल का हिस्सा, दाहोद, छोटा उदयपुर, नर्मदा, तापी, नवसारी, वलसाड़, दमन दीव, दादर नागर हवेली शामिल हैं। राजस्थान के 10 जिले इसमें ळामिल हैं। ये हैं डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद और चित्तौड़गढ़, जालोर-बाड़मेर-पाली का हिस्सा।
महाराष्ट्र के जो 6 जिले इसमें प्रस्तावित हैं वो हैं जलगांव,नासिक और ठाणे का हिस्सा, नंदूरबाग, धुलिया और पालघर। मध्यप्रदेश के कुल सात जिलों को इसमें रखा गया है। इनमें नीमच, मंदसौर, रतलाम और खड़वा का हिस्सा, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खरगोन और बुरहानपुर शामिल हैं।
इसमें राजस्थान में 28 लाख, गुजरात में 34 लाख, महाराष्ट्र में 18 लाख और मध्यप्रदेश में करीब 46 लाख की जनसंख्या शामिल हैं। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 244 और सन् 1913 के मानगढ़ में गुरु गोविंद गिरी के आंदोलन का हवाला दिया जाता है। 1977-84 के दौरान एमपी से चुने जाने के बाद राज्यसभा में जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व भी किया। दाहोद (गुजरात) से लोकसभा सांसद रहे सोमजी भाई डामोर ने भील प्रदेश का अलग नक्शा दिया तो इसी मांग को लेकर 2013 में जांबूखंड पार्टी और फिर 2017 में बीटीपी का गठन हुआ।
बीटीपी के राजस्थान अध्यक्ष डॉ. वेलाराम घोघरा कह चुके हैं कि भाजपा आदिवासियों को वोट बैंक में बदलने के लिए लड़ाना चाहती है। अनुसूचित क्षेत्र में सौहार्दपूर्ण वातावरण बिगाड़ने का कृत्य कर रही है। उन्होंने कहा कि बीटीपी प्रजातांत्रिक तरीके से संविधान के दायरे में रहकर अलग भीलप्रदेश की मांग करती है, न कि अलग देश बनाने की। 1913 के मानगढ़ में गुरु गोविंद गिरी के आंदोलन का हवाला देकर उन्होंने कहा कि वो नरसंहार जलियावाला बाग जैसी घटना थी। तब राजस्थान व गुजरात सीमा पर स्थित मानगढ़ में भीलों को मारा गया था।
घोघरा का कहना है कि कांग्रेस को भील समुदाय के सदस्य को राज्यसभा चुनाव में टिकट देनी चाहिए। ढुलेश्वर मीणा को कांग्रेस ने आखिरी बार रास भेजा था। बीजेपी में कनकमल कटारा अभी लोकसभा में हैं। लेकिन वो पहले रास में थे।