वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को कम समय में तीव्र और छोटी अवधि के युद्ध के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। वायु सेना प्रमुख गुरुवार को नई दिल्ली में LOGISEM VAYU-2022 नामक भारतीय वायु सेना के एक राष्ट्रीय स्तर के लॉजिस्टिक्स सेमिनार के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

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वायु सेना प्रमुख भारतीय वायुसेना की जरूरतों के लिए एक विशेष संदर्भ की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फोर्स को छोटे अवधि के युद्धों और लंबे समय तक चलने वाले गतिरोधों से निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कम से कम समय में उच्च तीव्रता वाले अभियानों के नए तरीकों के लिए संचालनात्मक संचार तंत्र में बड़े बदलाव करने की आवश्यकता होगी।

छोटे व तीव्र संघर्ष का क्या मतलब है?

भारतीय संदर्भ में छोटा और तीव्र संघर्ष अक्सर किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई से संबंधित होता है जो भारत और पाकिस्तान के बीच हो सकता है। इस तथ्य को देखते हुए कि भारत और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु हथियार हैं, रणनीतिकारों का अनुमान है कि युद्ध छोटा और बहुत अधिक तीव्रता का होगा, क्‍योंकि दोनों देश युद्ध को न्‍यूक्लियर वॉर के मुहाने तक पहुंचने से पहले ही जल्‍द से जल्‍द अपने लक्ष्‍य को हासिल करने की कोशिश करेंगे। छोटे और तीव्र संघर्ष की यह अवधि केवल एक सप्ताह के भीतर ही सिमट सकती है।

1947-48 का कश्मीर युद्ध कई महीनों तक चला, जबकि 1965 का युद्ध तीन सप्ताह की अवधि में हुआ था। 1971 का युद्ध आधिकारिक तौर पर केवल दो सप्ताह के लिए हुआ था, लेकिन एक महीने पहले पूर्वी मोर्चे पर झड़पें शुरू हो गई थीं। 1999 में कारगिल युद्ध कई हफ्तों तक चला लेकिन यह तथ्य कि यह एक ही जगह तक सीमित रहा और अन्य मोर्चों पर नहीं फैला, इसे अलग बनाता है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में भारतीय वायु सेना को कम समय में तीव्र और छोटी अवधि के संचालन के लिए तैयार रहना पड़ता है। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहे गतिरोध की तरफ इशारा किया। हालांकि, उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में करीब दो सालों से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है। मई 2020 में चीनी सेना के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से सेना और भारतीय वायुसेना अलर्ट पर हैं।

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First published on: 28-04-2022 at 22:36 IST