हरियाणा के मेवात का जो इलाका आज हिंदू-मुस्लिम दंगों की आग में झुलस रहा है, वहां जब 1947 में बंटवारे के वक्त कत्ल-ए-आम हो रहा था तो ‘कब्रिस्तान या पाकिस्तान’ के नारे के बावजूद वहां के मुसलमानों ने वतन छोड़ कर नहीं जाने का संकल्प ले लिया था।
कहते हैं कि इन मुसलमानों का प्रतिनिधिमंडल सितंबर 1947 में बिरला हाउस में महात्मा गांधी से मिलने गया था और कहा था- बापू, हम वतन छोड़ कर नहीं जाना चाहते। इसके बाद बापू भी मेवात गए और मेवात को हिंदुस्तान की रीढ़ बताते हुए कहा कि वहां के मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
गांधी के अनुरोध पर पाकिस्तान नहीं गए थे मेवात के मुसलमान
भारत को अंग्रेजों से आजादी बंटवारे की त्रासदी के साथ मिली थी। तब देश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। ऐसे इलाकों में मेवात क्षेत्र का भी नाम है, जो तब उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में फैला हुआ था। मेवात में रहने वाले मेव समुदाय के बहुसंख्यक लोग इस्लाम को मानते हैं लेकिन कई हिंदू रीति-रिवाजों का भी पालन करते हैं।
गांधी अपनी हत्या (30 जनवरी, 1948) से करीब एक माह पहले 9 दिसंबर, 1947 में मेवात की यात्रा पर गए थे। उन्होंने मेवात के मुसलमानों को आश्वासन दिया था कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। उन्होंने मेवात के मुसलमानों से भारत में ही रहने का आह्वान किया। गांधी की अपील पर मेवात के मुसलमानों ने यहीं रहने का मन बना लिया।
गांधी की हत्या से मेवात के मुसलमानों को लगा झटका
इतिहासकार सिद्दीक अहमद, जो मेव समुदाय से ही हैं, उन्होंने गांधी के साथ मेवात के संबंध के बारे में विस्तार से लिखा है। एक वीडियो में अहमद बताते हैं कि गांधी की हत्या मेवों के लिए एक झटका थी। गांधी ने जिन्हें रहने के लिए मना लिया गया था, उन्हें एक बार फिर लगने लगा कि उन्हें यहां से जाना होगा। मेवात की महिलाएं एक गीत गाती थीं – ‘भरोसा उठ गयो मेवान का, गोली लागी है गांधीजी के छाती बीच’
भयंकर हिंसा झेलकर भी नहीं गए पाकिस्तान
अहमद बताते हैं कि साल 1933 में अलवर के शाही परिवार ने किसानों पर भारी कर लगाया था। मेवों ने इसके खिलाफ एक सफल आंदोलन चलाया, जिसके कारण अंग्रेजों ने अलवर राजा को पद से हटाकर राज्य का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया। आजादी के वक्त विभाजन का मौका देख अलवर के राजा ने मेवों से बदला लेने की ठानी। मेवों पर भयंकर अत्याचार शुरू हुआ।
भरतपुर और अलवर रियासतों में मेवों की कुल आबादी लगभग 200,000 थी। साम्प्रदायिक दंगों में अकेले भरतपुर रियासत में तीस हजार मेव मारे गये। भरतपुर के राजा ने तो मेवात के मुसलमानों के लिए ‘कब्रिस्तान या पाकिस्तान’ नारा ही दे दिया था। अलवर में भी रातों रात भीड़ द्वारा मेवों की हत्या कर दी जाती। कहीं-कहीं बेदखल कर दिया गया। उनके गांव जमींदोज कर दिए गये। केवल उन्हें ही रहने की अनुमति मिली जिन्होंने कथित शुद्धि यानी धर्मांतरण स्वीकर किया।
अहमद मानते हैं कि वह हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं थी। उसे पूरी तरह से रियासतों द्वारा आयोजित किया गया था, जिसे उन संगठनों ने चलाया जिन्हें आज हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के रूप में जाना जाता है। जो लोग हिंसा से बचे वे प्रतीक्षा शिविरों में भाग गए, जहां लोग तब तक रहते थे जब तक उन्हें पाकिस्तान नहीं भेज दिया जाता।
मेवात का ताजा हाल
हरियाणा के मेवात में एक धार्मिक यात्रा से उपजी साम्प्रदायिक हिंसा की आग आस-पास के जिलों तक पहुंच गई है। हिंसा मंगलवार को भी जारी रही, जिसके बाद नूंह में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
सोमवार को दिन में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा निकाली गई ‘बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा’ के दौरान हुई सांप्रदायिक झड़प में दो होमगार्ड्स सहित कम से कम चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद तनावग्रस्त क्षेत्र में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया। हिंसा को फैलने से रोकने के लिए कई जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया।
सोमवार की देर रात गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित एक मस्जिद में 70-80 लोगों की भीड़ ने आग लगा दी। हमले में मस्जिद के इमाम नायब इमाम मोहम्मद साद की मौत हो गई है। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वाले लोगों की कुल संख्या पांच हो गई है।
नूंह देश का सबसे पिछड़ा जिला
ताजा साम्प्रदायिक दंगों से मेवात सबसे ज्यादा प्रभावित है। हरियाणा के मेवात क्षेत्र में मुस्लिम बहुल आबादी वाला नूंह देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है। इस तथ्य की आधिकारिक पुष्टि अप्रैल 2018 में हुई, जब नीति आयोग ने जिले को भारत के सबसे पिछड़ा जिला बताया।
2011 की जनगणना के अनुसार, नूंह की कुल आबादी लगभग 11 लाख लोगों में से 79.2% मुस्लिम थे, जबकि हिंदुओं की आबादी 20.4% थी। नूंह जिले को 2016 तक मेवात के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने यह कहते हुए नाम बदल दिया कि मेवात एक शहर नहीं बल्कि एक भौगोलिक इकाई है।