मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में लोअर कोर्ट ने रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली है। गुरुवार को इस मामले में जिला जज कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट इस मामले में राजस्व रिकार्ड के साथ 1968 के समझौते पर भी जिरह सुनेगा। ये समझौता श्रीकृष्ण जन्म साथान सेवा संस्थान (मंदिर प्रबंधन समिति) व ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह के बीच किया गय़ा है।

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मथुरा के जिला जज राजीव भारती की कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में कहा कि अब इस मामले की सुनवाई लोअर कोर्ट में होगी। 26 मई को इस मामले की पहली सुनवाई होगी। एडवोकेट रंजना व 6 अन्य लोगों की तरफ से दाखिल याचिका में मांग की गई थी कि श्रीकृष्ण विराजमान की 13.37 एकड़ जमीन है। इस भूमि में से करीब 11 एकड़ पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर बना है। जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद है। उनकी मांग है कि 2.37 एकड़ जमीन को मुक्त कराकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान में शामिल किया जाए, जिससे हिंदुओं को उनका हक मिल सके। उनका दावा है कि ये जमीन कब्जा की गई है।

याचिका में 1968 में हुए समझौते को भी रद्द करने की मांग की गई है। याचिकर्ताओं का कहना है कि इस मामले में संस्थान को समझौता करने का अधिकार ही नहीं है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की निगरानी में जन्मभूमि परिसर की खुदाई कराई जाए। उनका दावा है कि जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई थी, उसी जगह पर वो कारागार मौजूद है जिसमें भगवान जन्मे थे। उनका ये भी कहना है कि कृष्ण जन्मभूमि का भी ज्ञानवापी की तरह से वीडियो सर्वे कराया जाए, जिससे सच पता लगेगा। हिंदुओं को मंदिर में पूजा करने का अधिकार दिया जाए।

उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट भी एडवोकेट महक महेश्वरी की उस याचिका की सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्होंने शाही ईदगाह मस्जिद को सरकार के संरक्षण में देने की मांग की थी। हालांकि उनके सुनवाई पर न आने की वजह से याचिका खारिज हो गई थी। लेकिन चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस प्रकाश पाड्या की कोर्ट ने इस पर फिर से संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट में 25 जुलाई को मामले की अकली सुनवाई की जाएगी।

इससे अलग एक मामले में हाईकोर्ट ने 12 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा को आदेश दिया था कि जन्मभूमि से जुड़े मामले की सुनवाई चार माह में पूरी कर ली जाए। ये आदेश जस्टिस सलिल कुमार राय की कोर्ट ने दिया था। वो मनीष यादव की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। जो दावा करते हैं कि वो भगवान कृष्ण के उत्तराधिकारी हैं।

क्या है 1968 का समझौता

1946 में जुगल किशोर बिड़ला ने जमीन की रेखरेख के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया था। 1968 में ट्रस्ट ने मुस्लिम पक्ष से एक समझौता कर लिया। शाही ईदगाह मस्जिद का पूरा मैनेजमेंट मुस्लिमों को सौंप दिया। रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर जैन आदि की ओर से जो याचिका दाखिल की गई है, उसमें इस समझौते को ही अवैध करार दिया गया है। दलील दी गई है कि ट्रस्ट को अधिकार ही नहीं था कि वह समझौता करे। डेढ़ साल तक चली रिवीजन पर बहस इस याचिका पर रिवीजन के तौर पर अक्टूबर 2020 से 5 मई 2022 तक अलग-अलग तारीखों पर बहस हुई। 5 मई को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इसे स्वीकार करने या न करने को लेकर 19 मई की तारीख दी थी।