राजधानी दिल्ली में एक बार फिर डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। दिल्ली नगर निगम के मुताबिक, पिछले माह यानी सितंबर में डेंगू के 693 केस सामने आए हैं। अक्टूबर के शुरुआती पांच दिन में ही 321 मरीज पाए गए हैं। हालांकि इस साल अभी तक किसी की जान जाने की पुष्टि नहीं हुई है।
 
डेंगू के बढ़ते मामलों पर ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर अतुल गोगिया कहते हैं, ”बारिश में देरी के कारण स्थिति ज्यादा खराब हो गई है। यह परिस्थिति मच्छरों के प्रजनन के अनुकूल होती है। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में फैला डेंगू स्ट्रेन एयरो टाइप-2 (Aero type 2) है। यह एक विषाणु जनित स्ट्रेन माना जाता है।”

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किस वायरस से फैलता है डेंगू?

भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, डेंगू ‘डीईएनवी 1-4 सीरोटाइप’ के कारण फैलने वाला एक वायरल रोग है। डीईएनवी 1-4 सीरोटाइप को ही आसान भाषा में डेंगू वायरस कहते हैं। यह वायरस मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन के समय काटते हैं।

बीमारी के लक्षण नजर आने में तीन से चौदह दिनों तक का समय लग जाता है। डेंगू की चपेट में आए व्यक्ति में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ो में दर्द के साथ-साथ कई बार चकत्ते उभर आते हैं।

क्या हर बुखार डेंगू है?

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा प्रकाशित एक पत्रक के मुताबिक, डेंगू में होने वाले बुखार को ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। डेंगू बुखार तीन तरह के होते हैं:

  1. साधारण डेंगू बुखार
  2. डेंगू हमरेजिक बुखार (DHF)
  3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)

साधारण डेंगू बुखार आम तौर पर खुद ही ठीक हो जाता है। लेकिन डीएचएफ या डीएसएस होने पर जान जाने का भी खतरा होता है। साधारण डेंगू बुखार होने पर ठंड लगती है, सिर दर्द होता है, भूख कम लगती है, स्वाद खराब हो जाता है, गले में हल्का दर्द रहता है और कभी-कभी शरीर पर लाल रैशेज भी हो जाते हैं। यह बुखार 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है।

वहीं DHF होने पर नाक या मसूड़ों से खून आता है, उल्टी या शौच में भी खून आता है। शरीर पर नीले-काले रंग के चकत्ते हो जाते हैं। वहीं, DSS के केस में मरीजों को बेचैनी भी होती है। हालांकि तेज बुखार के बावजूद शरीर ठंडा रहता है। ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।

नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता, Jansatta.com से बातचीत में कहते हैं, ”सामान्य बुखार के मुकाबले डेंगू में बहुत तेज सिर दर्द होता है। आंखों के पीछे भी तेज दर्द होता है। साथ ही ज्वाइंट पेन भी होता है।”

कब करानी चाहिए जांच?

डॉ. गुप्ता कहते हैं- डेंगू के लक्षण दिखाई देने के पहले दिन से लेकर पांचवें दिन तक कभी भी डेंगू का NS1 एंटीजन टेस्ट करा सकते हैं। डेंगू आईजीएम सीरोलॉजी टेस्ट बीमारी के चार से पांच दिनों के बाद किया जाना चाहिए।

प्लेटलेट का कितना कम होना चिंता की बात है?

प्लेटलेट्स मॉनिटरिंग और ट्रांसफ्यूजन को लेकर मरीजों और परिवार के दिमाग में हमेशा एक दबाव होता है। प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन अनिवार्य नहीं है और किसी को इसके लिए तभी जाना चाहिए जब रक्तस्राव के लक्षण हों या प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम हो।

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First published on: 17-10-2022 at 16:59 IST