रिंकू घोष

एक आम धारणा है कि टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को खजूर (Dates) खाने से बचना चाहिए। लेकिन रिसर्च परिणामों की हालिया समीक्षा से पता चला है कि खजूर खाने से ब्लड ग्लूकोज (Blood Glucose), कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), शरीर का वजन (Body Weight) या ब्लड प्रेसर (Blood Pressure) पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है, बशर्ते कि वे कम मात्रा में लिया जाए। 

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कुछ अध्ययन तो यह बताते हैं कि यदि आप नियंत्रित मात्रा में खजूर की सही किस्म को खाते हैं, तो वह आपके ब्लड शुगर को बढ़ने से रोक सकता है।

यह जानकारी फोर्टिस सीडीओसी हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज़ एंड एलाइड साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा (Dr Anoop Misra) और तमिलनाडु गवर्नमेंट मल्टी-सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की डाइटीशियन डॉ. मीनाक्षी बजाज (Dr Meenakshi Bajaj) के अध्ययन में सामने आयी है।

स्टडी में यह जानने की कोशिश की गई है कि खजूर के सेवन का ब्लड शुगर (Blood Sugar), ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (Glycosylated Haemoglobin), लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile) और शरीर के वजन (Body Weight) पर पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह जनवरी 2009 और नवंबर 2022 के बीच इज़राइल, सऊदी अरब और अन्य देशों में विभिन्न डेटाबेस का अध्ययन कर जुटाई गई है।

खजूर की 17 किस्में

खजूर की 17 किस्मों में से कौन सा मधुमेह रोगी के लिए लाभकारी है, इसकी जानकारी के बिना खजूर का सेवन हानिकारक हो सकता है। खजूर की किस्मों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) 42.8 से 74.6 और ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) 8.5-24 के बीच होता है।

खजूर के चार अलग-अलग चरण होते हैं – किमरी, खलाल और सबसे अधिक इस्तेमाल व अध्ययन किए गए रुतब और तामेर। खजूर के अलग-अलग चरणों के जीआई भी अलग-अलग होता है। जैसे: रुताब (आधा पका हुआ) 47.2, टैमर (पूरी तरह से पका हुआ, परंपरागत रूप से धूप में सुखाया हुआ) 45.3 और टैमर (कमर्शियल) 35.5। टैमर असल में पका हुआ खजूर ही होता है, जिसे सूखाकर सख्त और गहरे रंग का कर दिया गया होता है।

सऊदी अरब के खजूरों में सबसे कम शुगर, जीआई और ग्लाइसेमिक लोड होता है। डॉ. बजाज कहती हैं, ”भारत में आमतौर पर पाए जाने वाले खजूर में मीडियम ग्लाइसेमिक लोड होता है। टैमर इन दिनों भारतीय बाजारों में व्यापक रूप से उपलब्ध है। खजूर की कुछ किस्में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती हैं। यह पेट को भरता है और चीनी की खपत को भी सीमित करता हैं।”

डॉ बजाज बताती हैं, “मैं महसूस करती हूं कि मधुमेह रोगियों को अभी भी खजूर का सेवन कम करना चाहिए। जिन अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर खजूर खाने की बात कही जा रही है, उन सभी अध्ययनों में अर्ध पके रुतब या पके और सूखे टेमर की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया गया है। दोनों तरह के खजूरों को संयुक्त अरब अमीरात के लोग आसानी से पहचान लेते हैं। लेकिन हर किसी के लिए समझना आसान नहीं।

सऊदी अरब में 2022 में एक अध्ययन किया गया। उस अध्ययन के लिए एक साल तक रुताब और टैमर के सेवन के प्रभाव का आकलन किया गया। अध्य्यन से पता चला कि ब्लड शुगर और एचबीए1सी के स्तर में कमी आयी है।

पाकिस्तान में 2018 में 10 सप्ताह के लिए डबल ब्लाइंड रैंडमाइज्ड नियंत्रित परीक्षण के रूप में खजूर के सिरके पर किए गए एक अन्य अध्ययन में एचबीए1सी के स्तर में सुधार पाया गया। शोधकर्ताओं ने इसके लिए खजूर में मौजूद गैर-स्टार्च पॉलीसेकेराइड को जिम्मेदार माना।”

खजूर में क्या-क्या पाया जाता है?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) के अनुसार, 100 ग्राम खजूर से 311 कैलोरी, 9 ग्राम फाइबर, 1 से 3 ग्राम प्रोटीन मिलता है और ये सेलेनियम, मैग्नीशियम, कॉपर, पोटेशियम, कैल्शियम फॉस्फेट और मैंगनीज जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

डॉ बजाज कहती हैं, “2018 में एक रिसर्च पेपर में पाया गया था कि सूखे गहरे भूरे रंग के खजूर एनीमिया के लिए अच्छे हो सकते हैं। उस तरह के प्रति 100 ग्राम खजूर में 4.70 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है। हाल ही के आंकड़ों से पता चलता है कि टैमेस्रिट किस्म के खजूर, जिनका दैनिक आधार पर सेवन किया जाता है, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को 21 दिनों से लेकर छह महीने तक कम कर सकता है। हालांकि यह गैर-मधुमेह रोगियों पर लागू होता है।”

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First published on: 04-02-2023 at 16:56 IST