दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कुत्ते के साथ शाम को टहलने के विवाद में मुख्य सचिव (राजस्व) संजीव खिरवार का तबादला लद्दाख कर दिया गया है। जबकि उनकी पत्नी रिंकू दुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेज दिया गया। टॉप ब्यूरोक्रेट्स के इस तरह के व्यवहार के बीच सवाल उठता है कि आखिर वो कौन से नियम हैं जिससे उन पर नियंत्रण रखा जाता है।
ऑल इंडिया सर्विस, जिसमें आईएएस, आईपीएस, आईएफएस ऑल इंडिया सर्विस कंडक्ट रूल 1968 के अंतर्गत आती हैं। इसमें कुल मिलाकर 23 नियम हैं। जिन्हें पहली बार अधिसूचित करने के बाद से 37 बार संशोधित किया जा चुका है। वहीं अन्य सिविल सेवाएं सेंट्रल सिविल सर्विसेस कंडक्ट रूल 1964 के अंधीन हैं। इसमें जिसमें 25 नियम शामिल हैं, और इनमें अब तक 44 संशोधन हुए हैं।
सिविल सेवा में शामिल अधिकारियों के लिए बनाए गये नियम–
- सेवा में शामिल सदस्य हर समय अपनी पूरी सत्यनिष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पित रहेगा
- साथ ही कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जो सेवा दे रहे सदस्यों के लिए अशोभनीय हो
- सदस्य अपने नैतिक मानकों, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी को बनाए रखेगा
- इसके साथ ही राजनीतिक तटस्थता और जवाबदेही के साथ पारदर्शिता रखेगा
- अधिकारी को जनता के प्रति खास तौर पर कमजोर वर्ग के प्रति जवाबदेही रखनी होगी और जनता के साथ शिष्टाचार और अच्छा व्यवहार रखना होगा
अधिकारियों के सामान्य चरित्र और आचरण के बारे में नियम: अगस्त 2014 में किये गये संशोधन में कई बिंदु जोड़े गए। इन्हें हाल के मामलों में आईएएस अधिकारियों के आचरण पर असर के रूप में देखा जा सकता है।
- सिविल सेवा देने वाला प्रत्येक सदस्य संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की सर्वोच्चता के लिए खुद को प्रतिबद्ध रखेगा
- सिविल सेवक के तौर पर अपने पद का कभी दुरुपयोग नहीं करेगा
- खुद के और अपने परिवार या अपने दोस्तों के लिए आर्थिक या भौतिक लाभ पाने के लिए कोई फैसला नहीं लेगा
- निष्पक्षता और बिना किसी भेदभाव के साथ काम करेगा, खास तौर पर समाज के गरीब और वंचित वर्गों के साथ
- सिविल सेवक को किसी भी कानून, नियमों, बनाई गई परंपराओं के खिलाफ कुछ भी करने से बचना चाहिए
हालांकि अधिकारियों पर गलत व्यवहार को लेकर लगने वाले आरोपों पर अधिकारी दावा करते हैं कि उनका व्यवहार उनके उच्च अधिकारियों के आदेश से तय होता है। इस स्थिति में उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए मौखिक आदेशों का पालन करने के तरीके के बारे में भी सुव्यवस्थित नियम है-
- उच्च अधिकारी द्वारा दिए निर्देश आमतौर पर लिखित रूप में होगा
- मौखिक निर्देश के तुरंत बाद वरिष्ठ अधिकारी लिखित रूप में इसकी पुष्टि करेंगे
- वरिष्ठ अधिकारी से मिले मौखिक निर्देश के बाद अधिकारी जितनी जल्दी हो सके लिखित रूप में इसकी पुष्टि की मांग करेगा
द इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ऐसा कुछ भी, जो सिविल सेवा में शामिल सदस्य के लिए अशोभनीय हैं, और अक्सर गलत अधिकारियों पर लगाम लगाने के लिए व्यापक नियम लागू किये जाते हैं।