फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और मशहूर क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी के बेटे सैफ अली खान जब पहली बार मुंबई आए तो गुलजार के घर रुके थे। शर्मिला टैगोर ने गुलजार से बात की थी कि सैफ़ को वो अपने घर रखें जिसके लिए गुलजार मान गए थे। लेकिन सैफ़ कुछ समय बाद ही गुलजार के घर से भाग गए थे जिसका जिक्र शर्मिला टैगोर ने खुद किया था।
बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में शर्मिला टैगोर ने कहा था कि गुलज़ार बेहद कायदे कानून वाले आदमी हैं। उन्होंने बताया था, ‘मैंने सैफ़ को सबसे पहले मुंबई में गुलज़ार साहब के घर भेजा क्योंकि मैं उनको ही अच्छी तरह जानती थी। सैफ़ वहां कुछ दिन रुका और फिर वहां से भाग गया।’
उन्होंने आगे बताया था, ‘मैंने जब सैफ से पूछा तो उसने कहा कि गुलजार साहब तो एकदम एकांत में रहने वाले इंसान हैं। मैं वहां नहीं रह सकता। मैंने गुलजार साहब को इस बारे में बताया तो वो बोले कि कोई नहीं, बच्चा है, वापस आ जाएगा।’
इसी दौरान शर्मिला टैगोर ने बताया था कि जब वो गुलजार के साथ फ़िल्मों के लिए काम करतीं थीं तब सेट पर गुलजार का खौफ रहता था। उन्होंने बताया था, ‘गुलज़ार जैसे दिखते हैं, वैसे हैं नहीं। वो बहुत ही कायदे कानून वाले आदमी हैं। हर वक्त उनका खौफ बना रहता था। वो समय के बेहद पाबंद हैं। अगर कोई सेट पर पांच मिनट भी लेट हो जाता था तो वातावरण में अजीब सी खामोशी छा जाती थी।
सैफ अली खान ने अपने अभिनय के सफर पर बात करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि वो बहुत अधिक पार्टी आदि में बिजी रहने लगे थे इसलिए उनके पिता ने उन्हें एक विज्ञापन की कंपनी में भेज दिया कि वो अब खुद काम करें। इस तरह सैफ अली खान को उनका पहला विज्ञापन मिला था।
सैफ ने 1993 की फिल्म, ‘परंपरा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। उनकी शुरुआती कुछ फिल्मों ने अच्छा काम नहीं किया और उन्हें फ्लॉप एक्टर कहा जाने लगा था। आखिरकार साल 2004 में सैफ अली खान से फ्लॉप का टैग हटा। उसी साल फ़िल्म आई ‘हम तुम’ जिसमें उन्होंने रानी मुखर्जी के साथ काम किया। फिल्म हिट साबित हुई और सैफ को बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
अगले ही साल विद्या बालन के साथ आई उनकी फिल्म ‘परिणीता’ सफल फ़िल्म साबित हुई और सैफ़ अली ख़ान बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेताओं में शामिल हो गए।

