लेजेंड राजकुमार को हिंदी सिनेमा में आज भी उनकी अदाकारी के अलावा उनके रौबीले अंदाज के लिए याद किया जाता है। राजकुमार उस जमाने के एक ऐसे लौते स्टार थे जिनका मिजाज पूरी फिल्म इंडस्ट्री से हटकर था। राजकुमार काफी कड़े स्वभाव वाले एक्टर थे। ऐसे में उनके सेट पर आते ही सब कुछ नियमों के अनुसार ही होता था।

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एक किस्सा साल 1966 का है। जब फिल्ममेकर राम महेश्वरी ‘नीलकमल’ बना रहे थे। इस फिल्म को बनते-बनते 2 साल लगे थे। नीलकमल 1968 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में राजकुमार के अलावा दिग्गज बलराज साहनी, मनोज कुमार और वहीदा रहमान थे। इस फिल्म में कॉस्ट्यूम को लेकर एक दफा राजकुमार यूनिट पर बिफर पड़े थे।

दरअसल, इस पीरियड फिल्म में सभी कलाकारों को एथनिक लुक लेना था। एक्टर्स-एक्ट्रेस सभी को भारी ड्रेस और गहने पहनने थे। कॉस्ट्यूम डिजाइनर ने उस वक्त सोचा कि कलाकार इतनी भारी ड्रेस में गहनों के साथ उलझ जाएंगे, ऐसे में डिजाइनर ने कपड़ों के साथ ही ज्वेलरी को चिपका दिया। जब कॉस्ट्यूम इस तरह से राजकुमार के पास पहुंचे तो वह देख कर बड़े नाराज हुए।

उन्होंने कहा कि ये क्या तमाशा है। दरअसल, राजकुमार के कुर्ते पर ही माला चिपकी हुई थी, जो देखने में अटपटी लग रही थी। अब राजकुमार को तो सब कुछ परफेक्ट चाहिए था। ऐसे में उन्होंने कहा कि अगर मैं शूट करूंगा तो असली जेवरों के साथ ही करूंगा ये नकली जेवर वो फील नहीं दे रहे हैं।

जब राजकुमार को समझाने की कोशिश की गई तो राजकुमार का पारा चढ़ गया और वह पूरी यूनिट पर अपना गुस्सा निकालने लगे। जब राजकुमरा नहीं माने तो मेकर्स को उनके सामने हार माननी ही पड़ी। मेकर्स ने सोचा कि शूट का पहला दिन है और पहले दिन में ही इतनी रुकावट आ गई। ऐसे में उन्होंने राजकुमार की बात मानी और उनके लिए नए ड्रेस का इंतजाम किया।

साथ ही असली आभूषण भी मंगाए गए। राजकुमार का इसके पीछा का तर्क था कि जब तक असल चीजें आसपास नहीं होगी तो वो फील नहीं आएगी। उस किरदार को अगर महसूस ही नहीं कर पाएंगे तो वो पर्दे पर कैसे नजर आएगा। इसके बाद पन्नालाल ने राजकुमार की बात पर हामी भरी और फिल्म का काम शुरू हुआ।