संजय दत्त की निज़ी जिंदगी बेहद ही विवादित रही है। इसका असर एक वक्त उनकी फिल्मों पर भी पड़ा और उन्हें ग्रे किरदार ही मिले। हालांकि बाद में उनकी छवि में सुधार हुआ और उन्हें अलग-अलग किरदार मिलने लगे। संजय दत्त को लेकर फिल्ममेकर्स के बीच एक धारणा बन गई थी कि वो बेहद गुस्सैल हैं, किसी की नहीं सुनते और उन्होंने उस धारणा को तोड़ा भी। साल 2008 में मान्यता दत्त के साथ शादी के बाद संजय दत्त की जिंदगी में काफी बदलाव आए। इसी बात को लेकर रजत शर्मा ने संजय दत्त से सवाल पूछा कि उन पर मान्यता दत्त का कंट्रोल है, क्या ये बात सही है?
रजत शर्मा ने इंडिया टीवी के लोकप्रिय शो ‘आपकी अदालत’ में संजय दत्त से ये सवाल पूछा था जिसके जवाब में संजय दत्त ने कहा था कि आज तक उन्हें कोई कंट्रोल नहीं कर पाया, मान्यता क्या करेंगी। उन्होंने कहा था, ‘हर हसबैंड का यही हाल है, लेकिन जहां तक मुझे कंट्रोल करने की बात है, मुझे अभी तक कोई कंट्रोल नहीं कर पाया, तो वो मुझे क्या कंट्रोल करेंगी।
रजत शर्मा ने इसके बाद संजय दत्त से राजनीति में आने को लेकर सवाल पूछा, ‘संजय इस बात में कितनी सच्चाई है कि आप राजनीति में आए, चुनाव लड़े, ये फैसला आपका कम और मान्यता का ज्यादा था?’ जवाब में संजय दत्त ने कहा था, ‘मान्यता का फैसला सिर्फ किचन में होता है, प्याज बिरयानी बनाए या चिकन बनाए। लेकिन राजनीति में आने का फैसला मेरा था।’
संजय दत्त कम उम्र से ही किसी की नहीं सुनते थे। कहा जाता है कि मां नरगिस के प्यार ने उन्हें बिगाड़ दिया था। छोटी उम्र से ही सिगरेट की लत लग गई थी उन्हें। बाद में वो हर तरह के ड्रग्स भी करने लगे थे जिसके बाद उन्हें अमेरिका के नशा मुक्ति केंद्र में भेजा गया था।
उनकी शराब पीने की आदत से अभिनेत्री श्रीदेवी को इतनी चिढ़ थी कि उन्होंने संजय दत्त के साथ काम करने से ही मना कर दिया था। हालांकि संजय श्रीदेवी के बहुत बड़े फैन था। बाद में श्रीदेवी ने संजय दत्त के साथ फिल्म ‘गुमराह’ में काम किया। साथ काम करते वक्त भी श्रीदेवी संजय दत्त से नहीं बोलती थीं।