बॉलीवुड अभिनेत्री, डांसर और बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी काफी नाम कमाया है। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1999 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार से किया। साल 2004 में वो आधिकारिक रूप से भाजपा के साथ जुड़ गईं थीं और राज्यसभा 2009 तक राज्यसभा सांसद रहीं। साल 2014 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता और 2019 में भी वो अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं। हालांकि संसद में हेमा मालिनी को कभी ज्यादा सवाल करते नहीं देखा गया। इसी बात पर प्रभु चावला ने उनसे सवाल पूछ लिया था कि उन्होंने परदे पर एग्रेसिव किरदार निभाए हैं, संसद में वो ऐसा क्यों नहीं कर पातीं।
प्रभु चावला के शो, ‘सीधी बात’ में हेमा मालिनी ने राज्यसभा सांसद बनने के कुछ समय बाद शिरकत किया था। प्रभु चावला ने उनसे सवाल पूछा था, ‘शोले की बसंती की तरह राजनीति की बसंती को भी तो एग्रेसिव होना चाहिए न? उस तरह का राजनीति में भी आपको कुछ करना चाहिए न?’
हेमा मालिनी ने कहा था, ‘करना चाहिए। करना चाहती हूं मैं। अभी तो शुरुआत है। बसंती वाला काम तो नहीं लेकिन देश के लिए मैं कुछ अच्छा करना चाहती हूं।’ प्रभु चावला ने हेमा मालिनी से उनकी फिल्म सीता और गीता को लेकर फिर सवाल पूछा, ‘आपकी एक फिल्म आई थी, सीता और गीता। राजनीति में आप क्या हैं, सीता या गीता?’
हेमा मालिनी ने जवाब दिया था, ‘राजनीति में तो दोनों मिलकर होना चाहिए, कभी सीता, कभी गीता। सिर्फ सीता बनकर रहने से नहीं होगा, गीता बनना पड़ेगा, दुर्गा भी बनना पड़ेगा।’
हेमा मालिनी ने इसी दौरान बताया था कि उन्हें बीजेपी की सोच अच्छी लगी और इसलिए वो बीजेपी के साथ जुड़ीं। उन्होंने बताया, ‘बीजेपी बहुत अच्छा काम कर रही थी जब मैंने पार्टी के लिए प्रचार करना शुरू किया। अटल जी, आडवाणी जी, सभी मुझे पसंद आए तो मुझे लगा कि मैं भी इससे जुड़कर कुछ और काम करूं। बीजेपी की विचारधारा मुझे बहुत अच्छी लगी।’
हेमा मालिनी ने साल 1999 में बीजेपी के उम्मीदवार अभिनेता विनोद खन्ना का प्रचार किया था और तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में बढ़ी थी। साल 2010 में उन्हें बीजेपी ने पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनाया था। साल 2014 में हेमा मालिनी ने मथुरा लोकसभा सीट पर जयंत चौधरी को भारी मतों के अंतर से हराया था और वो 2019 में फिर से लोकसभा की सांसद चुनी गईं।
