‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया यानी नेशनल अवॉर्ड विनिंग एक्टर पंकज त्रिपाठी ने गुरुवार को मुंबई में हुए एक्सप्रेसो के पांचवें एडिशन में शामिल होकर इसकी शोभा बढ़ाई। पंकज त्रिपाठी ने सपनों की नगरी मुंबई में अपने संघर्ष के बारे में बात की और बताया कि एक बार  पुलिस स्टेशन के ‘वांटेड’ बोर्ड पर उनकी तस्वीर लगी थी और उनके दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बात की जानकारी दी थी।

उस वक्त को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कहा, “कोई सोशल मीडिया और इतनी ज्यादा कास्टिंग एजेंसियां ​​नहीं थीं। ये कास्टिंग एजेंसियां ​​अब बढ़ गई हैं। पहले हमें बस घर-घर जाकर यह दावा करना पड़ता था कि हम अभिनेता हैं। वे एक गत्ते का डिब्बा रखते थे जिसमें हर कोई आकर अपनी फोटो डाल सके। दिन के अंत में, कार्टन को ऊपर की मंजिल पर असिस्टेंट के ऑफिस में भेज दिया जाता है। मैंने ऐसे कई डिब्बों में अपनी तस्वीरें डालीं।”

त्रिपाठी ने आगे कहा, “एक बार मेरे दोस्त को कहीं से क्राइम शो के लिए कास्ट किया गया। ये एक पुलिस स्टेशन सेटअप था। उसने सेट पर देखा एक ‘वांटेड’ का बोर्ड टंगा है। मेरे दोस्त ने मुझे कॉल किया और कहा, “अरे वॉन्टेड में तेरी फोटो दाल दी है।” मैंने कहा ऐसे  कैसे? फिर मुझे याद आया कि मैंने उनके दफ्तर में अपनी फोटो छोड़ी थी। तो जब आर्ट डिपार्टमेंट को वांटेड बोर्ड के लिए चोर और गैंगस्टर की तस्वीर चाहिए होती है तो वो लोग उन तस्वीरों को यूज करते हैं। इसी तरह मेरी भी थी।”

पंकज त्रिपाठी ने आगे बताया कि आध्यात्मिक होने से उन्हें संघर्ष के दिनों में बहुत मदद मिली। उन्होंने कहा, “इसने मेरा काफी साथ दिया,ये आपकी आशा को बचाने में मदद करता है, एक आश्वासन मिलता है कि सब कुछ होगा। हम इंसान हैं, हमारी क्षमता सीमित है, उसके बाद सब कुछ भगवान पर छोड़ दें। मैं भी ऐसा ही करता हूं और इसे भगवान पर छोड़ देता हूं।”

इसके अलावा उन्होंने बताया कि अध्यात्म की राह पर चलके उन्होंने क्या सीखा। उन्होंने कहा, “आध्यात्मिकता ने मुझे यह समझने में मदद की है कि मुझे कभी किसी के साथ गलत नहीं करना चाहिए। मैं किसी से झूठ नहीं बोलता। मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। मैं आसानी से माफ कर देता हूं। अध्यात्म ने इसे मुझमें समाहित कर लिया है।’ ऑफिस से वापस भेजे जाने पर मुझे कई बार अपमानित महसूस हुआ, लेकिन इंडस्ट्री में मेरे मन में किसी के प्रति कोई शिकायत नहीं है। लेकिन अब, बहुत सारी स्क्रिप्ट्स मेरे पास आती हैं, मैं सीखने की कोशिश कर रहा हूं कि कैसे ना कहें; यह मेरे लिए बहुत कठिन है। मैं अभिनय करने की इच्छा के साथ मुंबई आया था और अपने अस्तित्व के लिए मेरे पास कोई प्रेरक शक्ति नहीं थी। मैं तो बस थिएटर कर रहा था। मुझे आज तक न तो एहसास हुआ और न ही विश्वास हुआ कि चीजें इतनी बदल गई हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा, कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं सपना देख रहा हूं।”

इस मौके पर पंकज त्रिपाठी ने फिल्मों और बॉलीवुड को लेकर भी ढेर सारी बातें की। उन्होंने क्या-क्या कहा ये पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…