भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया है। लता मंगेशकर ने कई दशकों तक अलग अलग भाषाओं में 30 हजार से भी ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी। कभी उन्होंने अपनी आवाज के हर किसी की आंखों में आसू ला दिया तो कभी उसी कंठ की आवाज से झूमने पर मजबूर कर दिया। लता मंगेशकर ने अपनी आवाज से सैनिकों का भी हौसला बढ़ाया।

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लता मंगेशकर के गीतों में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ आज भी लोगों के जेहन में जस का तस बसा हुआ है। सी रामचंद्र द्वारा रचित गीत, कवि प्रदीप द्वारा चीन के साथ 1962 के युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान में लिखा गया था। इसे लता मंगेशकर मे अपनी आवाज से और भी ज्यादा खास बना दिया था।

साल 2014 में, लता मंगेशकर को गीत की 51 वीं वर्षगांठ पर सम्मानित किया गया था। मुंबई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान, लता मंगेशकर ने 27 जनवरी, 1963 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में गीत गाए जाने वाले दिन को याद किया था।

उन्होंने बताया था किया कि उन्होंने केवल एक बार गाने का अभ्यास किया था और इतने कम समय में प्रदर्शन करने के लिए वो जरा घबराई हुई थीं। हालांकि, कवि प्रदीप ने उन्हें गाना गाने पर जोर दिया। लता जी ने बताया “पहले तो मैं घबरा गया, यह सोचकर कि मैंने कुछ गलती की है। लेकिन जब मैं पंडित जी (नेहरू) से मिली तो मैंने उनकी आंखों में आंसू देखे।’ परफॉर्मेंस के बाद नेहरु जी ने लता से कहा, “लता, तुमने आज मुझे रुला दिया।”

भारत रत्न तला मंगेशकर बताती थीं कि उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि उनका गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ एक प्रतिष्ठित दर्जा हासिल करेगा और देश और विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय होगा। उन्होंने उस वक्त का याद करते हुए कहा था, “मैंने विदेश में 100 से अधिक शो किए हैं और हर बार मैंने यह गाना गाया है। लोग हमेशा मुझसे ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाने का अनुरोध करते हैं।”

आपको बता दें कि लता मंगेशकर पिछले 29 दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पलात में भर्ती थीं और लगातार उनका इलाज चल रहा था। उनकी बहन उषा मंगेशकर ने इस खबर की जानकारी दी है। इससे पहले उन्हें शनिवार को तबीयत बिगड़ने के कारण वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था।