जया प्रदा का फिल्मी करियर जितना शानदार रहा, राजनीति में भी उन्होंने अच्छा काम किया। 1994 में उन्होंने एनटी रामा राव के कहने पर उनकी पार्टी ‘तेलेगु देशम पार्टी’ ज्वाइन की थी। जया उनके साथ कई फिल्मों में भी काम कर चुकीं थीं और उन्हें अपना गुरु मानती थीं। लेकिन जब एनटीआर की पार्टी सत्ता में आई तब उनके ही दामाद ने विधायकों को अपने पक्ष में लेकर खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए विद्रोह कर दिया। उस वक्त जया प्रदा भी एनटीआर को छोड़ उनके दामाद के गुट में शामिल हो गईं थीं। इसी बात को लेकर जया प्रदा से प्रभु चावला ने सवाल पूछ लिया था।
आज तक के शो, ‘सीधी बात’ में प्रभु चावला ने जया प्रदा से पूछा था, ‘एक सीधी बात करूं? औरतें जो हैं, जो सत्ता में है, उसी के साथ रहती हैं? चंद्रबाबू पावर में थे तब आपने कहा यही मेरा पॉलिटिकल करियर है। फिल्म बाद में देखा जाएगा।’
जया प्रदा ने जवाब दिया, ‘नहीं! ये गलत है क्योंकि सच्चाई ये है ही नहीं। चंदाबाबू नायडू जब मुश्किल में थे, मैं उनसे साथ थी। मैंने उनके लिए बहुत काम किया। पार्टी के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में मैंने बहुत काम किया।’
हालांकि बाद में जया प्रदा चंद्रबाबू नायडू से भी अलग हो गईं थीं और उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। उनसे अलग होने को लेकर जया प्रदा ने कहा था कि टीडीपी में उन्हें साइडलाइन किया गया।
जया प्रदा ने कहा, ‘पहले जो ट्रीटमेंट मिलता था, पहले जो महत्व दिया जाता था, जो सहजता थी, नहीं रही। पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जो फैसले लिए जाते थे, उनमें फासले बढ़ गए थे। मैंने जल्दी में पार्टी नहीं छोड़ा बल्कि एक डेढ़ साल इंतजार किया।’
जया प्रदा ने अपनी राजनीतिक शुरुआत दक्षिण भारत से की लेकिन बाद में वो सपा से जुड़कर उत्तर भारत की राजनीति में सक्रिय हो गईं। जया प्रदा को सपा में लाने का श्रेय अमर सिंह को जाता है। साल 2004 में वो पार्टी में शामिल हुईं और उन्होंने रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा। वो साल 2004 से लेकर 2014 तक सपा की तरफ से रामपुर की सांसद रहीं।