1977 का समय था। देश में आपातकाल लगी थी। आपातकाल लगे करीब दो साल हो गए थे। दिल्ली के रामलीला मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी की रैली होनी थी। अगुआ थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। आपातकाल के दौरान कांग्रेस को लेकर लोगों में काफी जनाक्रोश था। जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा था। जनता पार्टी के आह्वान पर काफी लोग उस रैली को समर्थन दे रहे थे। वाजपेयी की रैली फ्लॉप हो जाए, इसके लिए इंदिरा गांधी ने एक ऐसी चाल चली कि आज भी उसका जिक्र इंदिरा गांधी के नाम के साथ होता ही है। खास करके इमजरजेंसी के संदर्भ में।
मालूम हो कि आपालकाल को लेकर कांग्रेस पर से लोगों का भरोसा टूट रहा था। आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। अभिव्यक्ति का अधिकार ही नहीं रह गया था। लोगों में हताशा और निराशा थी। लिहाजा दिल्ली में सर्द मौसम के बावजूद लोग अटल बिहारी वाजपेयी की रैली में इकट्ठे हो रहे थे।
इंदिरा गांधी चाहती थीं कि यह रैली फ्लॉप हो जाए। लोग जनता पार्टी की बातों में ना आएं। शाम 4 बजे रैली शुरू होने वाली थी। और इसी दिन इंदिरा गांधी ने वाजपेयी की रैली को असफल बनाने के लिए एक फिल्म का सहारा लिया। इंदिरा सरकार ने उस दिन दूरदर्शन पर साल 1973 की सबसे हिट फिल्म बॉबी का प्रसारण करवाया था। राजकपूर के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया लीड रोल में थे। उस समय फिल्म की खासा चर्चा थी।
सरकार की इसके पीछे की रणनीति यह थी कि लोग अपनी पसंद की फिल्म में व्यस्त रहेंगे और रैली में शामिल नहीं होंगे। लेकिन सरकार की यह नीति फेल हो गई। रात के 9 बजे भी सर्द मौसम में लोग वाजपेयी को सुनने के लिए मैदान में डटें रहे, और इस तरह इंदिरा गांधी की सारी रणनीतियां धरी की धरी रह गईं थीं। जनता का उस रैली को काफी समर्थन मिला था।