फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि भारत में आज भी ऐसी आदतें बनी हुई हैं, जो गुलामी के दौर की याद दिलाती हैं। उनका कहना है कि हमें अपनी सभ्यता से जुड़े सिद्धांतों पर चलना चाहिए था, लेकिन आज भी हम गलत परंपराओं को ढो रहे हैं।
‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद अब निर्देशक विवेक अग्निहोत्री अपनी नई फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म के प्रमोशन के दौरान दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने आज़ादी के बाद भारत की दिशा और नेताओं के फैसलों पर सवाल उठाए।
अग्निहोत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद भारत एक आदर्श राष्ट्र बन सकता था, लेकिन उस समय के नेताओं और आम जनता ने भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाया।
उन्होंने कहा, “नेहरू आधुनिक दुनिया से जुड़ना चाहते थे, ये सही था क्योंकि हमें व्यापार करना था। लेकिन साथ ही हमें अपनी सभ्यतागत जड़ों को भी थामे रहना चाहिए था। आज़ादी के बाद नेताओं को लोगों से कहना चाहिए था – अब यह देश तुम्हारा है, तुम इसे चलाओ। पर ऐसा नहीं हुआ। लोगों को मेहनती बनाने की जगह उन्हें धोखेबाज़ बनना सिखाया गया।”
“गुलामी की आदतें आज भी जारी”
उन्होंने कहा कि मुग़ल और अंग्रेज़ी शासन में लोग चमचागिरी करके बच जाते थे। कोई शराब, कोई और सुविधाएँ देकर ताकतवरों को खुश करता था। आज भी यही चलन है – रिश्वत और सिफारिश।
अग्निहोत्री ने आरोप लगाते हुए कहा, “अगर उस समय के प्रधानमंत्री सच में देश चलाना चाहते तो जनता से कहते – अब ये तुम्हारा देश है, तुम चलाओ। पर इसके बजाय कृत्रिम सेक्युलरिज़्म थोपा गया,”
‘जो लोग बाजार में बिकते हैं उन लोगों के साथ….’ जब कुमार सानू की पूर्व पत्नी ने लगाए थे उनपर आरोप, सिंगर ने बता दिया था पागल
“औरंगज़ेब, तैमूर, स्टालिन जैसे नाम क्यों?”
विवेक अग्निहोत्री ने नामकरण की परंपरा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हमारे यहाँ आज भी औरंगज़ेब रोड है, एक मुख्यमंत्री का नाम स्टालिन है, बच्चे का नाम तैमूर रखा जाता है। मैं सिर्फ़ सेलेब्रिटीज़ की बात नहीं कर रहा, बंगाल और यूपी में भी बहुत लोग तैमूर नाम रखते हैं। ये वही लोग थे जिन्होंने हमें बर्बाद किया। जिनके पूर्वज औरंगज़ेब के हाथों मारे गए, वे ये नाम सुनकर कैसा महसूस करेंगे? कम से कम ऐसे नामों का इस्तेमाल तो न करें।”
अग्निहोत्री ने कहा कि भारत ने अपनी मूल सोच को दबाकर एक बाहर से आयात की हुई सोच अपना ली, और यही हमारी सबसे बड़ी समस्या है।