लक्ष्मण रामचंद्र उतेकर की फिल्म ‘छावा’ (Chhaava) को 14 फरवरी, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। इसमें विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना के साथ अक्षय खन्ना अहम रोल में थे। फिल्म में सभी किरदारों को दर्शकों की ओर से काफी पसंद किया गया था। फिल्म में विक्की कौशल की परफॉर्मेंस के लिए लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। वहीं, औरंगजेब की भूमिका में अक्षय खन्ना को खूब सराहा जा रहा है। इसी में से एक किरदार कवि कलश का रहा, जिसे हर किसी ने काफी पसंद किया। कवि कलश, छावा के अज़ीज मित्र थे। औरंगजेब ने संभाजी महाराज और कवि कलश की बेहरमी से हत्या करा दी थी। इस किरदार को स्क्रीन पर विनीत कुमार सिंह ने जीवंत कर दिया। उन्होंने ही इस रोल को बहुत ही बेहतरीन ढंग से प्रेजेंट किया और लाइमलाइट चुरा ली। ऐसे में चलिए बताते हैं विनीत कुमार सिंह के अभी तक के करियर के ग्राफ के बारे में…

‘छावा’ में जिस तरह से एक्टर विनीत कुमार सिंह ने कवि कलश का रोल प्ले किया है, वो देखते ही बना। फिल्म में आखिरी का जो सीन होता है। उसे केवल विक्की कौशल और विनीत पर ही फिल्माया गया है, जो कि लोगों को झकझोर देते हैं। इसका क्लाइमैक्स कमाल का होता है। विनीत कुमार को दर्शकों से जो प्यार और प्रशंसा मिल रहा है, इसका वो बरसों से इंतजार कर रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री में दो दशकों से काम कर रहे हैं लेकिन, जिस तरह की सफलता और पहचान उन्हें अब मिली है वो शायद ही किसी फिल्म से मिली थी। उन्होंने 22 साल के करियर में 25 फिल्मों में काम तो किया और इस बीच कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रहे, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं और उनके अभिनय के लिए विनीत को सराहा गया। लेकिन, ‘छावा’ से मिली सफलता और पहचान को हमेशा से ही मिस करते रहे थे।

आपको याद हो कि ‘छावा’ की रिलीज और इसकी बॉक्स ऑफिस की सफलता के बाद विनीत कुमार सिंह ने कहा था कि अच्छा है अब कोई उनका नाम नहीं पूछेगा और ना ही उनको कोई अंडर रेटेड एक्टर कहेगा। उनकी इस बात से जाहिर है कि वो अपने करियर में जिस पहचान और सफलता को तरस रहे थे। वो उन्हें ‘छावा’ से मिली है। लेकिन, क्या आपको पता है कि एक्टर के करियर में दो टर्निंग प्वॉइंट आए, जिससे उनके काम को इंडस्ट्री में देखा गया। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं उनके करियर के ग्राफ के बारे में।

डॉक्टरी छोड़ एक्टिंग में आए थे विनीत कुमार सिंह

‘छावा’ फेम एक्टर विनीत कुमार सिंह के फिल्मी करियर के बारे में जानने से पहले उनके बारे में जान लीजिए। उन्होंने CPMT क्वॉलिफाइड की है और मेडिकल कॉलेज से टॉपर भी रह चुके हैं। वह एक लाइसेंस प्राप्त मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं। उनके पास आर.ए. पोद्दार आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद, मेडिसिन और सर्जरी में ग्रेजुएशन की डिग्री है और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर से आयुर्वेद में एमडी की डिग्री है। इस लिहाज से वो एक डॉक्टर हुए। इतना ही नहीं, वो राष्ट्रीय स्तर के बास्केटबॉल चैंपियन भी हैं। ऐसे में वो एक्टिंग में डॉक्टरी छोड़कर आए थे। इस दौरान सफलता और पहचान कमाने में उन्हें 22 साल लग गए।

विनीत कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के बनारस के रहने वाले हैं। वो मुंबई सुपरस्टार टैलेंट हंट का हिस्सा बनने के लिए आए थे। यहां जीतने के बाद एक्टर और डायरेक्टर महेश मांजरेकर ने उन्हें संजय दत्त की फिल्म ‘पिताह’ में काम दे दिया था। फिल्म कुछ खास नहीं रही। बाद में उन्हें काम के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। फिर उन्होंने महेश मांजरेकर की फिल्म ‘विरुद्ध’ और ‘देह’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया। 2007 में उन्होंने डायरेक्शन छोड़ एक्टिंग पर पूरी तरह से ध्यान देना शुरू कर दिया। फिर उन्हें भोजपुरी सीरियल्स और फिल्मों में काम करने का मौका मिला। यहां उन्होंने ‘गोरी तेरे प्यार में’ और ‘इश्क’ जैसी फिल्म में काम किया। इसके बाद उन्हें फिल्मों में हिंदी-मराठी फिल्म ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ (2010) में काम करने का मौका मिला। यहां से उनके एक्टिंग का सिलसिला शुरू हुआ और उन्हें अनुराग कश्यप ने फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में काम मिला। इसमें उन्होंने दानिश खान का रोल प्ले किया। इसके बाद क्या था फिल्मों का दौर शुरू हुआ और ‘अगली’, ‘बॉम्बे टॉकिज’ जैसी फिल्में मिली।

‘मुक्काबाज’ बनी करियर का टर्निंग प्वॉइंट

विनीत कुमार सिंह ने बाद में ‘बॉलीवुड डायरीज’, ‘मुक्काबाज’, ‘दास देव’, ‘गोल्ड’, ‘आधार’, ‘सांड की आंख’ और ‘गुंजन सक्सेना’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया। इस बीच उनके करियर में दो टर्निंग प्वॉइंट आए जब इंडस्ट्री में उनके काम को सभी ने नोटिस किया। पहला टर्निंग प्वॉइंट रहा जब उन्होंने फिल्म ‘मुक्काबाज’ में काम किया। इस फिल्म में उनके शानदार अभिनय को लोगों ने देखा। इंडस्ट्री में रास्ते खुले। इस फिल्म में उन्होंने बॉक्सर का रोल किया था और बॉक्सिंग की दो साल तक ट्रेनिंग ली थी।

OTT बना ब्रह्मास्त्र

विनीत कुमार सिंह के करियर को यहां तक पहुंचाने में ओटीटी को एक अहम योगदान के रूप में देखा जा सकता है। ‘मुक्काबाज’ के बाद विनीत कुमार सिंह कई फिल्मों में काम किया। इसमें ‘गुंजन सक्सेना’, ‘गोल्ड’ और ‘सांड की आंख’ जैसी फिल्मों काम किया। इनमें भले ही उनका सपोर्टिंग एक्टर वाला किरदार रहा था लेकिन, इसमें एक्टर को काफी पसंद किया गया था। इसमें ‘गोल्ड’ को छोड़कर बाकी दोनों फिल्मों को ओटीटी पर ही रिलीज किया गया था, जहां पर इसने कमाल का प्रदर्शन किया था। वहीं, विनीत कुमार सिंह ओटीटी पर तब ट्रेंड में आए जब उन्होंने यहां तीन वेब सीरीज में काम किया। इसमें पहली ‘बार्ड ऑफ ब्लड’, ‘बेताल’ और ‘रंगबाज़: डर की राजनीति’ रही। वेब सीरीज ‘रंगबाज डर की राजनीति’ ने उनके करियर का दूसरा टर्निंग प्वॉइंट रही। इसमें वो एक रंगबाज के रोल में दिखते हैं। इसमें उनकी दमदार एक्टिंग देखने के लिए मिली थी। यहां से माना जा सकता है कि उनका करियर चल पड़ा।

विनीत कुमार सिंह को मिले ये अवॉर्ड

इसके साथ ही अगर विनीत कुमार सिंह ने अपने करियर में कई अवॉर्ड्स भी अपने नाम किए हैं। इसमें क्रिटिक्स च्वॉइस फिल्म अवॉर्ड्स 2019 में बेस्ट मेल एक्टर जैसे अवॉर्ड हैं। ये सम्मान उन्हें फिल्म ‘मुक्काबाज’ के लिए दिया गया था। वहीं, इसी मूवी के लिए उन्हें 64वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स के लिए नॉमिनेट किया गया था।

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