आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम न लेते हुए कहा है कि बीजेपी कमल के फूल के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2024 में नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री चुन कर आएं इसके लिए 2022 में योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनना जरूरी है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्या के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं जिनमें रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह भी शामिल हैं।
सूर्य प्रताप सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट में लिखा है कि अब अमित शाह का खेल सबको धीरे धीरे समझ में आ रहा है। उन्होंने लिखा, ‘केशव प्रसाद मौर्य ने फिर योगी जी के नेतृत्व को नकार दिया है। अमित शाह जी का खेल अब धीरे-धीरे सबकी समझ में आ रहा है।’
पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि सरकार बनने से पहले ही कुर्सी के लिए खींचतान शुरू हो गई है। रोहिणी सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘केशव प्रसाद मौर्य बोले- भाजपा ‘कमल के नेतृत्व’ में लड़ेगी और उनके समर्थकों ने शोर मचा कर नारे लगा दिए और साफ कर दिया कि योगी आदित्यनाथ के चेहरे को लेकर भाजपा एकमत नहीं है। इस शोर की गूंज आज लोकभवन तक स्पष्ट सुनाई देगी, सरकार बनी नहीं, पर कुर्सी के लिए अभी से खींचतान शुरू है।’
केशव प्रसाद मौर्या के बयान पर लोग भी अपनी राय दे रहे है। लक्ष्मण मानिकपुरी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘केशव प्रसाद मौर्या कितना भी भाजपा के लिए उ. प्र. में काम कर लें लेकिन श्रेय तो योगी को ही जाएगा क्योंकि भाजपा कभी चाहेगी नहीं कि OBC या दलित मुख्यमंत्री बने।’
चंदन नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘मौर्या को भी पता है उन्हें सीएम नहीं बनाया जाएगा। मौर्या अगर इस तरह के बयान नहीं देंगे तो उनकी बिरादरी का वोट बीजेपी को नहीं मिलेगा। अगर मौर्य बिरादरी का वोट बीजेपी को नहीं मिला तो अगली बार डिप्टी सीएम भी नहीं बनाया जाएंगे।’ हिमांशु अवस्थी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘केशव जी का ये टोटका है. पिछली बार भी ये मुख्यमंत्री बनना चाह रहे थे और बीजेपी की सरकार बन गयी थी इसलिए फिर से वही चीज ट्राई कर रहे हैं…।’
आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्या लगातार ये कहते रहे हैं चुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री का फैसला चुने हुए विधायक और केंदीय नेतृत्व करेगा।
