राजीव सक्सेना
बड़े घरानों में ‘कर्मयुद्ध’
सिनेमा में अच्छी कहानियों का अकाल और टेलीविजन के छोटे पर्दे पर वही घिसी -पिटी पटकथाओं की भरमार की वजह से ही दर्शकों का रुझान ओटीटी मंच पर कुछ नए आकर्षण देखकर बढ़ा था। लंबे अरसे तक वेब शृंखला में लगातार नया कथानक देखने को मिला और अब भी कई शृंखलाओं की विषय वस्तु अलग हटकर है।
लेकिन डिजनी हाटस्टार पर प्रदर्शित बड़े बैनर की भव्य शृंखला ‘कर्मयुद्ध’ एक बार फिर टीवी चैनल्स पर आए दिन दिखाए जाने वाले धारावाहिकों की तर्ज पर बड़े घरानों के अंदरूनी कलह को बयां करने वाली साबित हुई। जी टीवी, स्टार प्लस, कलर्स और सोनी सरीखे निजी मनोरंजन चैनल्स पर सास – बहू के झगड़ों से ध्यान बांटते हुए व्यावसायिक परिवारों के भीतरी झगड़ों, ईर्ष्या, एक – दूसरे को नीचा दिखाने की जुगत जैसे कथानकों पर केंद्रित टीवी सीरियलों की बाढ़ सी आ गई थी।
श्री अधिकारी ब्रदर्स की अगली पीढ़ी के रवि अधिकारी के निर्देशन में बनी वेब शृंखला ‘कर्मयुद्ध’ की कहानी बांग्ला महानगरीय पृष्ठभूमि में उद्योगपति राय बंधुओं से जुड़ी है, जिसमें एक भाई की बढ़ती साख दूसरे की महत्त्वाकांक्षी पत्नी को सहज हजम नहीं होती और तमाम तरीकों से दोनों परस्पर दुश्मनी के पैंतरे अपनाने से बाज नहीं आते। सतीश कौशिक और आशुतोष राणा के अलावा बांग्ला सिनेमा और टीवी में सक्रिय पाओली धाम और चंदन राय सान्याल ने अपनी भूमिकाओं में प्रभावित किया है।
‘शी’: अजब – गजब कहानी फिर एक बार
मुंबई में पुलिस के फिल्मी चोंचले बतौर अंडरकवर एजंट की कल्पना पहले भी कितनी ही फिल्मों में पटकथा का हिस्सा बनी है। कुछेक लोकप्रिय हिंदी फिल्में देने वाले इम्तियाज अली को इन दिनों ओटीटी पर वेब शृंखला बनाने का चस्का सा लगा हुआ है, जिसमें वो कहानी के सशक्त होने पर कतई गौर नहीं फरमा रहे, ये दुखद है। अनुराग कश्यप और उनकी वासेपुर शैली से प्रेरित होकर इम्तियाज खुद उसी तरह की कहानियां लिख रहे हैं। ‘शी’, मुंबई पुलिस की एक अदना सी कांस्टेबल को अंडरकवर एजंट बनाकर, ड्रग माफिया को दबोचने के प्रयास की कहानी है।
एक चाल में अपनी विधवा मां और छोटी बहन के साथ रहने वाली भूमि, शारीरिक तौर पर अक्षम करार देकर पति द्वारा छोड़े जाने की कुंठा में जी रही है। शायद यही वजह थी कि उसने अपने अफसरों का ये चुनौती भरा प्रस्ताव मंजूर कर लिया, जिसमें खतरे कहीं कम नहीं थे। पारिवारिक तनाव बर्दाश्त करते हुए भूमि खुद को एक स्ट्रांग महिला ‘शी’ साबित करने में कमी नहीं छोड़ती। शृंखला का दूसरा भाग इसी कहानी को आगे बढ़ाता है।
आश्रम में बाबा का भंडाफोड़ करने की चुनौती लेने वाली दबंग लड़की का किरदार करके लोकप्रिय हुई अदिति पोहनकर ने अपनी भूमिका को ईमानदारी से जिया है। अन्य भूमिकाओं में शिवानी रांगोले, ध्रुव ठुकराल, विश्वास किनी, विजय वर्मा और परितोष सैंड भी प्रभावित करते हैं। दृश्यों और संवादों में खुलेपन का अतिरेक ओटीटी की मजबूरी या थोपी हुई परंपरा बन गया है।
