अगर आपको कोई कहे कि केरल की तमाम हिंदू लड़किया आईएसआईएस (सीरिया का इस्लामी आतंकवादी संगठन) के वजह से धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनीं और फिर धर्मयुद्ध में भाग लेने अफगानिस्तान और सीरिया गईं तो क्या आप सहज रूप से भरोसा कर पाएंगे?
आपके मन में सवाल होगा कि आखिर भारत सरकार क्या कर रही थी जिसके इतने नागरिकों के साथ इस तरह का सलूक किया जा रहा था? निर्देशक सुदीप्तो सेन की फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ यही कहती है। राष्ट्रीय और अतंराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद हो चुकी इस फिल्म में अदा शर्मा ने शालनी नाम की एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जो धर्म परिवर्तन कर मुसलिम बनती है, धोखेबाजी की शिकार होकर शादी करती है और फिर सीरिया पहुंच जाती है और इस क्रम में उस पर कई तरह के अत्याचार होते हैं, वो गर्भवती होती और सीरिया पहुंचकर मां भी बनती है।
फिल्म इस्लामोफोबिक है जैसा कि आजकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रवृत्ति के रूप में उभर रहा है। वैसे ये सच है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में इस्लामी आतंकवाद का उभार हो रहा है और और इस कड़ी में महिलाओं का भी शोषण हो रहा है। पर साथ ही ये भी सच है कि इस्लामी आतंकवाद का शिकार आम मुस्लिम भी हो रहे है जिसमें मुसलिम महिलाएं भी शामिल हैं।
फिल्म इस पहलू को पुरी तरह से नजरअंदाज करती है और एक तरफा नजरिया पेश करती है। शालिनी और उसके साथ जिन तीन महिलाओं को इसका शिकार दिखाया गया है वे सभी नर्सिग की छात्राएं बताई गई हैं और ये समझना भी मुश्किल है कि आखिर इतनी पढ़ी लिखी लड़कियों में इतना सामान्य ज्ञान भी नहीं है कि वे किसी के बहकावे में आ जाती है।
फिल्म के बारे में अगर कोई सकारात्मक बात कही जा सकती है तो सिर्फ इतना कि अदा शर्मा ने बेहतरीन अभिनय किया है। ये फिल्म आजकल प्रचलित राजनैतिक नारे ‘लव जिहाद’का फिल्मीकरण है।