डायरेक्टर: सिद्धांत सचदेव
स्टार कास्ट: संजय दत्त, मौनी रॉय, सनी सिंह, पलक तिवारी और अन्य
अवधि: 2 घंटे 10 मिनट
रेटिंग: 3
2024 में एक से बढ़कर एक छोटे बजट की हॉरर कॉमेडी फिल्में रिलीज हुईं। ‘भूल भुलैया 3’, ‘मुंज्या’ और ‘स्त्री 2’ जैसी फिल्में रिलीज हुईं और बॉक्स ऑफिस पर इन हॉरर कॉमेडी का ही जलवा देखने के लिए मिला था। इनके आगे बड़े बजट की फिल्मों का भी बोलबाला नहीं चल पाया था। ऐसे में इस साल 2025 में भी हॉरर कॉमेडी की शुरुआत हो चुकी है। इस साल की पहली हॉरर कॉमेडी ‘द भूतनी’ रिलीज हो चुकी है। वैसे तो थिएटर्स में हॉरर फिल्मों का अपना ही मजा होता है लेकिन, जब हॉरर के साथ कॉमेडी या कोई मर्डर मिस्ट्री जुड़ जाए तो बात ही अलग हो जाती है। हॉरर फिल्म को देखना अपना ही अनुभव होता है। ज़्यादातर हॉरर-कॉमेडी फिल्में एक पुराने फॉर्मूले पर चलती हैं या फिर जल्द ही भुला दी जाती हैं। लेकिन द भूतनी इन दोनों से अलग है। यह एक ऐसी ताजी हवा की तरह आती है और आपके दिलों दिमाग पर ऐसा असर करती है कि आप इसको भूल नहीं पाएंगे। चलिए बताते हैं इस फिल्म के बारे में…
क्या है फिल्म की कहानी?
‘द भूतनी’ के रिव्यू की शुरुआत इसकी कहानी से कहते हैं। फिल्म की कहानी सेंट विंसेंट कॉलेज के एक वर्जिन ट्री के इर्द-गिर्द घूमती है। ये कॉलेज अपनी रहस्यमयी खूबसूरती और उस पुराने वर्जिन ट्री के लिए जाना जाता है। इसमें कहा जाता है कि ये वर्जिन ट्री हर साल वेलेंटाइन डे के करीब किसी अधूरी मोहब्बत की तलाश में जागता है। कहानी 27 दिनों तक चलती और इस दौरान एक-एक दिन कॉलेज में अजीबोगरीब घटनाएं घटती हैं। किसी को रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं तो किसी को पेड़ के पास कोई परछाई दिखती है। कहानी काफ दिलचस्प है, जिसमें आपको हॉरर के साथ कॉमेडी भी भरपूर देखने के लिए मिलती है। बाकी की कहानी और सीन्स को देखने के लिए आपको सिनेमाहॉल का रुख करना होगा। ताकि आप इस कहानी का भरपूर लुत्फ उठा सकें।
हर किरदार का अपना मजा, मगर बाबा बन छा गए संजय दत्त
अब अगर ‘द भूतनी’ में स्टार्स की एक्टिंग के बारे में बात की जाए तो इसमें संजय दत्त और मौनी रॉय की एक्टिंग के साथ ही बाकी कलाकारों के कैरेक्टर और अभिनय का अपना अलग मजा है। फिल्म में संजय दत्त ने बाबा का रोल प्ले किया है, जिसके पास जादूई शक्तियां होती हैं मगर वो थोड़ा न्यू स्टाइल वाले बाबा हैं। वैसे ते संजय दत्त विलेन, हीरो और कॉमिक हर रोल में जंचते हैं। इस बार जरा हटकर किरदार किया है। उनके पास तंत्र विद्या, टशन और ठहराव तीनों है। वो ऐसे बाबा हैं, जो थोड़े मजाकिया भी हैं। उनका किरदार आपको खूब हंसाता है।
वहीं, फिल्म में सनी सिंह शांतनु के रोल में हैं, मासूमियत और उलझन में होते हैं। वो अपने कैरेक्टर को शानदार तरीके से निभाते हैं। वो इस फिल्म का वो किरदार हैं जो दर्शकों को अपनी उलझनों में उलझाए रखते हैं और हंसने के मौके देते हैं। पलक तिवारी ने अनन्या के किरदार में हैं, जो थोड़ी इमोशनल होती हैं। उनके सीन कम होते हैं लेकिन वो कहते हैं कि कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाना। कुछ ऐसा ही रोल पलक का है।
इसके साथ ही बात की जाए मौनी रॉय की तो वो ‘मोहब्बत’ की आत्मा के रोल में हैं। फिल्म में उनकी सबसे अनोखी उपस्थिति है। वो डरावनी भी हैं और साथ ही उनकी आंखों में एक ऐसा अधूरापन है, जो डर के साथ-साथ सहानुभूति भी जगाता है। उनका किरदार कहीं ना कहीं आपको ‘स्त्री’ की श्रद्धा कपूर जैसा लगता है। निकुंज शर्मा और आसिफ खान ने कॉमिक रिलीफ के रूप में धमाल मचाया है। उनके सीन जबरदस्त टाइमिंग के साथ आते हैं और कभी भी फिल्म की टोन को तोड़ते नहीं, बल्कि उसे और भी बेहतर बनाते हैं।
सिद्धांत सचदेव का डायरेक्शन
‘द भूतनी’ के निर्देशन पर नजर डालें तो इसे सिद्धांत सचदेव ने किया है। वो फिल्म की कहानी को कहने में काफी हद तक सफल हुए हैं। हालांकि, कहानी ऐसा कुछ है नहीं, मगर जिस कहानी में कुछ ना हो उसे दर्शकों के बीच परोसना काफी मुश्किल होता है। सिद्धांत ने इस बात का बखूबी ख्याल रखा है। उन्होंने कॉमिक टाइमिंग, डरावना सीन कब कहां डालना सब बेहतरीन तरीके से स्क्रीन पर पेश किया है। कुल मिलाकर उनके डायरेक्शन ठीक कह सकते हैं।
फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
अब बात की जाए फिल्म ‘द भूतनी’ के बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक की तो संतोष नारायणन ने इसका म्यूजिक दिया है, जो फिल्म की हर कड़ी को जोड़ने का काम करते हैं। फिल्म में ‘आया रे बाबा’, ‘तरररारा’, ‘महाकाल महाकाली’ जैसे गाने हैं, जो फिल्म की कहानी में जान डालने का काम तो करते हैं साथ ही आपको इससे जोड़े रखते हैं। बैकग्राउंड स्कोर हर सीन में माहौल को महसूस कराता है। यह चुप भी होता है जब जरूरी हो और अचानक उफान पर भी जाता है, लेकिन कभी भी कहानी से अलग नहीं होता। साउंड का इस्तेमाल सिर्फ डराने के लिए नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से जोड़ने और टेंशन दोनों बनाने के लिए किया गया है।
सिनेमेटोग्राफी और शानदार वीएफएक्स
श्रेयस कृष्णा की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है। उन्होंने इसमें कॉलेज के हर कॉरिडोर, क्लासरूम, और हर कोना दिखाया है, ये एक नया किरदार सा लगता है। लाइटिंग, मूड और कैमरा मूवमेंट सब कुछ मिलकर एक सस्पेंस दुनिया को रचते हैं। फिल्म में कमाल के वीएफएक्स भी हैं, जिसका इस्तेमाल बेहद समझदारी से किया गया है। फिल्म में इसे ना जरूरत से ज्यादा दिखाया गया है और ना ही कम है। डर के पल वास्तविक लगते हैं।
देखना चाहिए या नहीं
अब रही बात ‘द भूतनी’ को देखने और ना देखने की तो इसे आप देख सकते हैं। वहीं, अगर आप हॉरर-कॉमेडी के दीवाने हैं तो ये आपके लिए अलग अनुभव जैसी फिल्म है। ये डराती और हंसाती भी है। कुल मिलाकर फैमिली के साथ आप इस फिल्म को इन्जॉय कर सकते हैं।