विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गई है। अग्निहोत्री की यह फिल्म भारत विभाजन से पहले कोलकाता (तब कलकत्ता) में हुए हिंसक साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित है। इन दंगों के लिए मुस्लिम लीग के नेताओं को जिम्मेदार माना जाता है। फिल्म में गोपाल पाठा (गोपाल मुखर्जी) को केंद्रीय किरदार के रूप में दिखाया गया है। फिल्म के पोस्टर रिलीज के साथ ही इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था। कोलकाता में इसके ट्रेलर की रिलीज विवाद के कारण टल गयी थी। अब इस फिल्म से नया विवाद जुड़ गया है।
पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोपाल मुखर्जी के पोते शांतनु मुखर्जी फिल्म में अपने दादा के चरित्र चित्रण को लेकर नाराज हैं। शांतनु मुखर्जी ने फिल्म निर्दशक विवेक अग्निहोत्री के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। फिल्म में गोपाल मुखर्जी के लिए ‘पाठा’ (बकरा) और कसाई जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है जिसपर शांतनु मुखर्जी ने आपत्ति जतायी है।
शांतनु मुखर्जी के अलावा फिल्म में प्रमुख किरदार निभाने वाले अभिनेता शाश्वत चटर्जी ने भी आरोप लगाया है कि फिल्म की कहानी उन्हें पहले पूरी नहीं बताई गई थी। मुखर्जी ने मीडिया से कहा कि फिल्म का नाम पहले The Delhi Files था, जिसे बाद में बदलकर ‘द बंगाल फाइल्स’ कर दिया गया।
क्या है डायरेक्ट एक्शन डे?
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास गौरव और बलिदान से भरा है, लेकिन इसमें कुछ काले अध्याय भी हैं, उन्हीं में से एक है 16 अगस्त 1946 का ‘डायरेक्ट एक्शन डे’, जिस पर विवेक अग्निहोत्री फिल्म लेकर आ रहे हैं- ‘द बंगाल फाइल्स’। इस दिन कुछ ऐसा हुआ था जिसने कोलकाता को खून और हिंसा की आग में झोंक दिया। चलिए जानते हैं आखिर डायरेक्ट एक्शन डे पर क्या हुआ था?
डायरेक्ट एक्शन डे की शुरुआत
1946 में जब कैबिनेट मिशन प्लान फेल हुआ था तब मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान की मांग को और तेज़ कर दिया था। 29 जुलाई को मोहम्मद अली जिन्ना ने घोषणा की कि 16 अगस्त को मुस्लिम लीग पूरे देश में ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ मनाएगी। जिसका उद्देश्य यह दिखाना कि मुसलमान अब किसी समझौते से पीछे नहीं हटेंगे।
बंगाल की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) इस आह्वान का केंद्र बना। मुख्यमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी ने इस दिन का सपोर्ट किया और रैली का आयोजन शहीद मीनार पर किया गया।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन से खूनखराबे तक
सुबह से ही शहर में तनाव फैलने लगा। दुकानों को जबरन बंद कराया गया, नारेबाजी हुई और कई जगह झगड़े शुरू हुए। दोपहर तक यह भीड़ हिंसक हो गई। सैकड़ों घरों में आग लगा दी गई, दुकानें लूट ली गईं और सड़कों पर लाशें बिछ गईं।
17 और 18 अगस्त को स्थिति और भयावह हो गई। दोनों समुदायों के बीच हिंसा फैल गई। अनुमान है कि इस दंगे में 4,000 से ज्यादा लोग मारे गए और दस हज़ार से ज्यादा लोग घायल या बेघर हो गए। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं भी दर्ज हुईं।
ब्रिटिश और गांधी की भूमिका
ब्रिटिश सरकार ने हिंसा रोकने के लिए सेना उतारी, लेकिन कई दिनों तक हालात नियंत्रण से बाहर रहे। 20 अगस्त को महात्मा गांधी कलकत्ता पहुंचे और दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की। उनकी पहल से कुछ हद तक शांति लौटी, लेकिन दंगों के गहरे घाव लंबे समय तक बने रहे।
डायरेक्ट एक्शन डे का असर
डायरेक्ट एक्शन डे ने यह साफ़ कर दिया कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच अविश्वास गहरा हो चुका है। इसके बाद बंगाल, बिहार और नोआखाली में और भी हिंसा भड़की। आखिरकार 1947 में देश का विभाजन हुआ और लाखों लोग शरणार्थी बने।
फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ और विवाद
विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ में इन्हीं घटनाओं के इर्द गिर्द बुनी है। फिल्म दिखाती है कि किस तरह विभाजन से पहले बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा ने बड़ा रूप ले लिया था। फिल्म का जब ट्रेलर सामने आया तो विवाद और बढ़ गया।
इंसानियत की मिसालें
इन दंगों के बीच भी कई ऐसे किस्से सामने आए, जहां हिंदू और मुस्लिम परिवारों ने एक-दूसरे की रक्षा की। कई मुस्लिम परिवारों ने हिंदुओं को अपने घरों में शरण दी, वहीं कई हिंदू परिवारों ने मुसलमानों को हिंसक भीड़ से बचाया।
1946 का डायरेक्ट एक्शन डे भारतीय इतिहास का ऐसा मोड़ था जिसने विभाजन की दिशा तेज़ कर दी। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ ने इस विषय पर चर्चा को नया आयाम दिया है। फिल्म रिलीज होने के बाद इसपर चर्चा और भी ज्यादा तेज़ होने वाली है।
कब रिलीज होगी द बंगाल फाइल्स?
विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ 5 सितंबर 2025 को बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली है। फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी जैसे एक्टर्स नजर आएंगे।