दिल्ली सरकार की तरफ़ से नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष कर दी गई है। कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी है, जिसमें यह कहा गया है कि राजधानी में शराब की कोई सरकारी दुकान नहीं होगी। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली में अब शराब की कोई नई दुकान भी नहीं खुलेगी।
नई आबकारी नीति में शराब पीने की उम्र घटाने को लेकर तमाम लोग दिल्ली सरकार की आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग इस नई नीति से नाखुश नजर आए। वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी दिल्ली सरकार के इस फैसले पर अपनी टिप्पणी की है, जिस पर यूजर्स भी अपनी राय दे रहे हैं।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने ट्विटर पर लिखा, ‘दिल्ली में रामराज्य की दस्तक? शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल…।’ उनके इस ट्वीट पर सिद्धार्थ सेतिया नाम के एक यूजर ने अन्य राज्यों में शराब पीने की उम्र का एक डाटा शेयर करते हुए लिखा, ‘जब देखो तंज कसते रहते हो, इतनी नफ़रत दिल्ली से है या केजरीवाल से? सेलेक्टिव जर्नलिज्म करके थकते नहीं हो?’
गौरव नाम के यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, ‘हां जैसे जिन राज्यों में शराब बंद है वहां तो घी के दीए जलते हैं शाम को।’ कर्म योगी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘किसी भी सरकार का कोई फैसला रामराज्य का ही फैसला हो, ये कटाक्ष कुछ ज्यादा ही है। किसी भी फैसले के कुछ अच्छे- बुरे नतीजे हो सकते हैं। आप बस ऐसा सवाल उठाएं जिससे आपका उपहास न बनाया जाए और जो लोकहित में हो।’
दिल्ली में रामराज्य की दस्तक….?
शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल… pic.twitter.com/jfIZoUbF39— punya prasun bajpai (@ppbajpai) March 23, 2021
अरुण कुमार गुप्ता नाम के एक यूजर ने दिल्ली सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए लिखा, ‘जब चुनाव में वोट देने की उम्र 18 वर्ष हो सकती है तो पीने की उम्र 21 साल क्यों नहीं हो सकती। चुनाव में व्यक्ति अपने राज्य या देश के भविष्य का निर्णय करता है जबकि पीने से केवल अपने और अपने परिवार का भविष्य।’
विवेक चौहान नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘यदि शराब पीने की उम्र बढ़ाकर 50 कर दी जाए तो क्या लोग 50 साल के होने तक शराब नहीं पिएंगे? ये ठीक वैसा ही होगा जैसे जिन राज्यों में शराबबंदी लागू है वहां आप आसानी से अधिक पैसे देकर जितना चाहे शराब खरीद सकते हैं। यानी शराबबंदी से सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ता है और कुछ नहीं।’
आपको बता दें कि सितंबर 2020 में ही दिल्ली सरकार ने आबकारी आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई थी। दिल्ली सरकार के लिए सबसे बड़ा राजस्व का स्रोत शराब ही है, ऐसे में नई आबकारी नीति से सरकार को और अधिक लाभ होने की उम्मीद है।