Mahabharat 9th May 2020 Episode 85 Online Updates: महाभारत के महासंग्राम में सूर्य को अस्त होता देख जयद्रथ खुशी मनाता है और अर्जुन से समाधि लेने के लिए कहता है लेकिन कुछ देर बाद आकाश पर छाए बादल हट जाते हैं और वासुदेव कृष्ण अर्जुन से जयद्रथ का वध करने के लिए कहते हैं। सूर्य को देख जयद्रथ भयभीत हो जाता है आखिरकार अर्जुन अपने बाण से जयद्रथ का गला काट देते हैं और सूर्य केअस्त होने से पहले उसका वध कर देते हैं। वहीं वासुदेव के कहे अनुसार अर्जुन जयद्रथ का गला काट उसके पिता की गोद में डाल देते हैं। जिसके बाद जयद्रथ के पिता एक विस्फोट से स्वयं भी भस्म हो जाते हैं।
वहीं इससे पहले कौरवों और पांडवों में भीषण युद्ध होता जारी है। सिंधु नरेश जयद्रथ को अर्जुन के रूप में अपनी मृत्यु निकट आते हुए प्रतीत होती है। जयद्रथ की रक्षा करने के लिए दुर्योधन काफी कोशिश करता है। दुर्योधन सारे महारथियों को जयद्रथ की रक्षा करने के लिए लगाता है। आखिरकार अर्जुन सभी महारथियों का सामना करते हुए जयद्रथ तक पहुंच जाता है लेकिन तब तक ऐसा प्रतीत होने लगता है जैसे सूर्य अस्त हो चुका है और चारों तरफ अंधेरा छा जाता है।
इससे पहले अर्जुन, वासुदेव कृष्ण से कहते हैं कि अब सूर्यास्त को बहुत देर नहीं है। वहीं दुर्योधन सिंधु नरेश जयद्रथ को बचाने के लिए अर्जुन का मार्ग रोकता हुआ नजर आता है। अर्जुन रथ से उतर जाते हैं। वासुदेव कहते हैं कि नियम यह था कि जब कोई व्यक्ति रथ पर न हो तो उसे कोई योद्धा तीर नहीं मारेगा। अर्जुन रणभूमि पर रहकर दुर्योधन पर बाण चलाते हैं। अर्जुन के बाण से दुर्योधन बुरी तरह घायल हो जाता है। वासुदेव और अर्जुन दोबारा रथ पर आ जाते हैं।
वासुदेव अर्जुन से कहते हैं कि जयद्रथ का सिर कटकर भूमि पर न गिर जाए इस बात का ध्यान रखना। जयद्रथ के पिता का वरदान था कि जो उसका सिर भूमि पर गिराएगा उसके सिर में एक विस्फोट होगा। इस बात का ध्यान रखना पार्थ कि जयद्रथ का सिर उसके पिता की गोद में कटकर गिरे। उधर जयद्रथ परेशान है और वह प्रार्थना कर रहे है कि सूर्यास्त जल्दी हो जाए।
दुर्योधन को घटोत्कच ने अपने शक्ति से बहुत अधिक परेशान किया। जिसके बाद दुर्योधन कर्ण से कहा कि अपनी शक्ति का प्रयोग करके इस वीर योद्धा को मारो वरना ये कुछ देर में मेरे भी प्राण ले लेगा। जिसके बाद कर्ण ने अपने शक्ति बाण का प्रयोग घटोत्कच पर कर के उसका वध कर दिया।
भीम के पुत्र घटोत्कच ने अपने बल से पूरी कौरव सेना में खलबली मचा दी है। उसने दुर्योधन को खूब पीटा उसके बाद कर्ण भी उसके सामने बेबस नजर आ रहा है।
अपनी मां गांधारी के साथ पांडवों से मिलने पहुंचे दुर्योधन ने एक बार फिर पांडवों से बदतमीजी की है। उसके कटार से भी धारदार वचनों को सुनकर अर्जुन और नकुल का खून खौल उठा है। जिसके बाद युधिष्ठिर ने उन्हें ये कह कर चुप करा दिया कि बड़ी माता श्री के सामने इस तरह की असभ्यता का परिचय मत दो।
रणभूमि में अपने कौशल और वीरता का परिचय देने के बाद घटोत्कच पांडवों के शिविर में उनसे मिलने पहुंचा है। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं घटोत्कच की तारीफ की तो उसकी मां हिडिंबा की छाती गर्व से चौड़ी हो गई है।
भीम और उनकी राक्षस कुल की पत्नी हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच रणभूमि में आ चुका है। इस दौरान उसने यद्ध भूमि में अपने पैरों तले हजारों सैनिकों को कुचल दिया है। ये देख कर कौरव सेना में खलबली मच गई है।
जयद्रथ की रक्षा करने के लिए दुर्योधन काफी कोशिश करता है। दुर्योधन सारे महारथियों को जयद्रथ की रक्षा करने के लिए लगाता है। आखिरकार अर्जुन सभी महारथियों का सामना करते हुए जयद्रथ तक पहुंच जाता है लेकिन तब तक ऐसा प्रतीत होने लगता है जैसे सूर्य अस्त हो चुका है और चारों तरफ अंधेरा छा जाता है। सूर्य को अस्त होता देख जयद्रथ खुशी मनाता है और अर्जुन से समाधि लेने के लिए कहता है लेकिन कुछ देर बाद आकाश पर छाए बादल हट जाते हैं और वासुदेव कृष्ण अर्जुन से जयद्रथ का वध करने के लिए कहते हैं। सूर्य को देख जयद्रथ भयभीत हो जाता है आखिरकार अर्जुन अपने बाण से जयद्रथ का गला काट देते हैं और सूर्य केअस्त होने से पहले उसका वध कर देते हैं।
कर्ण और भीम के बीच रणभूमि में युद्ध हो रहा होता है। महाबली भीम कर्ण से बराबरी का मुकाबला करते हैं लेकिन आखिरकार वो निशस्त्र हो जाते हैं ऐसे मेें महारथी कर्ण के पास उनका वध करने का मौका आता है लेकिन वो माता कुंती को दिए वचन के कारण ऐसा नही कर पाते और भीम को जीवनदान दे देते हैं।
दुर्योधन कहता है कि कल हमें जयद्रथ को बचाना होगा। अगर कल जयद्रथ बच जाएगा तो अर्जुन खुद समाधि ले लेगा और फिर हमारी जीत तय होगी। ऐसे में कौरवों द्वारा जयद्रथ को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। युद्ध के मैदान में भीम अर्जुन के मार्ग में आने वाली बाधाओं को हटा रहे हैं वहीं कर्ण अर्जुन को जयद्रथ के निकट आता देख खुद रणभूमि में आ जाते हैं जिसपर महाबली भीम उनसे युद्ध करते हैं।
महाराज धृतराष्ट्र को लगातार इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं अर्जुन जयद्रथ का वध न कर दे। धृतराष्ट्र, संजय से कहते हैं कि ये भीम कैसे अपने गुरु पर वार कर सकता है जिसपर संजय उससे कहते हैं कि रणभूमि में कोई भी गुरु शिष्य नही होता महाराज।
द्रोण ने रणभूमि में अर्जुन को जयद्रथ का वध करने से रोकने का प्रयास किया जिसके बाद महाबली भीम गुरु द्रोणाचार्य से कहते हैं कि आप हमारे गुरु हैं केवल इस कारण अर्जुन आपका वध नही कर रहा है। अगर आप हमारे गुरु न होते तो अर्जुन आपका वध करके आगे बढ़ता।
महाराज धृतराष्ट्र संजय से युद्ध को लेकर चर्चा कर रहे हैं। महाराज संजय से कह रहे हैं कि अगर आज अर्जुन जयद्रथ का वध नही कर पाया तो ये युद्ध समाप्त हो जाएगा क्योंंकि अर्जुन अपने वचन का पक्का है वो अवश्य समाधि ले लेगा। वहीं संजय महाराज से कहते हैं कि फिलहाल वासुदेव कृष्ण के होते हुए अर्जुन की हार संभव नही है महाराज।
अर्जुन द्रोण से कहते हैं कि मेरे मार्ग से हट जाएं आज मुझे जयद्रथ के पास जाने से कोई नहीं रोक सकता। गुरुद्रोण कहते हैं कि मैं तुम्हारे मार्ग से नहीं हटूंगा। पहले मुझे मार्ग से हटाओ इसके बाद जयद्रथ के पास जाने के लिए आगे बढ़ना। अर्जुन और वासुदेव रथ लेकर युद्ध के मैदान से दूसरी ओर चले जाते हैं। इसके बाद अर्जुन दुशासन से युद्ध करते हैं। सूर्योदय होने से पहले उन्हें जयद्रथ का वध करना है ऐसे में वासुदेव कृष्ण योजना बनाते हैं। अर्जुन के सामने अश्वथामा होता है और दोनों के बीच युद्ध हो रहा होता है। अर्जुन, अश्वथामा को घायल कर कर्ण का सामना करता है। कर्ण घायल होकर रथ से नीचे गिर जाता है जिसके बाद अर्जुन जयद्रथ से सामना करने के लिए आगे बढ़ जाता है।
चारों तरफ त्रास्दी मची हुई है। सैनिक मारे जा रहे हैं, कुरुक्षेत्र की भूमि खून से सन गई है और लाल हो गई है। इधर, अभिमन्यु का भी युद्ध भूमि पर आगमन होता है। अभिमन्यु के समक्ष एक नहीं बल्कि कईं महाबलशाली योद्धा खड़े होते हैं। कर्ण, द्रोणाचार्य, शल्य, अश्वथामा, शकुनि, दुशासन, दुर्य़ोधन इन सभी से अभिमन्यु का मुकाबला होता है और वो वीरगति को प्राप्त हो जाता है।