स्वरा भास्कर ने पिछले साल फहाद अहमद के साथ शादी की घोषणा करके सभी को चौंका दिया था। हाल ही में, अभिनेत्री ने बताया कि फहाद को पति के रूप में स्वीकार करने से पहले उनके मन में कई डर थे। स्वरा ने बताया कि उनका सबसे बड़ा डर यह था कि ‘अगर मैं फहाद से शादी करूँगी, तो मुझे बॉलीवुड पार्टियों में नहीं बुलाया जाएगा’।

स्वरा भास्कर और फहाद अहमद ने हाल ही में अभिनेत्री अमृता राव और उनके पति आरजे अनमोल के साथ उनके YouTube चैनल कपल ऑफ थिंग्स पर एक इंटरव्यू के लिए बैठे। अपनी बातचीत के दौरान, स्वरा भास्कर ने अपने पति फहाद अहमद के लिए अपनी भावनाओं को स्वीकार करने से पहले अपने मन में आने वाली भावनाओं और डर के बारे में बताया।

स्वरा ने कहा, “मैं अपने जीवन के बहुत ही अजीब दौर से गुज़र रही थी। मुझे लगता था कि मैं लोगों को जज करना नहीं जानती। मैंने हमेशा गलत लोगों पर भरोसा किया, जिन्होंने मुझे ज़्यादातर निराश किया। उम्र का भी अंतर था। मुझे लगा कि यह संभव नहीं है। यह बहुत ज़्यादा था। और यह मेरे लिए वाकई चौंकाने वाला था, क्योंकि मैं ऐसी व्यक्ति नहीं हूँ जो ‘लोग क्या कहेंगे’ की परवाह करती हो, लेकिन फिर भी, मैं डर महसूस कर रही थी।”

स्वरा ने आगे कहा, “मेरे मन में लगातार ये विचार आ रहे थे: ‘मेरे माता-पिता कैसे रिएक्ट करेंगे’, ‘मेरा भाई क्या कहेगा’, ‘मेरे दोस्त कैसे रिएक्ट करेंगे’ और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुझे लगा कि अगर मैं उससे शादी करूँगी, तो मुझे बॉलीवुड पार्टियों – उनकी दिवाली पार्टियों में नहीं बुलाया जाएगा। वास्तव में यही मेरे दिमाग में आ रहा था, और मैं समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। यह मेरे लिए चौंकाने वाला था क्योंकि मैं अपने शब्दों को फ़िल्टर नहीं करती, मुझे दूसरे लोगों के रिएक्शन की परवाह नहीं है, मैं काफी स्ट्रेट फॉर्वर्ड पर्सन हूँ। मैंने खुद से कहा, ठीक है, तुम यह महसूस कर रही हो, इसे महसूस करो।”

स्वरा ने उस पल को याद किया जब वह आज़ाद महसूस कर रही थीं और फहाद के साथ अपने रिश्ते को लेकर उसके सारे डर दूर हो गए थे। उन्होंने याद करते हुए कहा, “मैं उस समय यूएसए में थी। मेरे एक चाचा हैं, जो अंग्रेज हैं। उन्हें धार्मिक अंतर तो पता था, लेकिन उन्हें वर्ग भेद के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। हम कॉल पर बात कर रहे थे, इसलिए उन्होंने मुझसे पूछा कि यह व्यक्ति कौन है। मैंने उनसे कहा ‘वह मेरा दोस्त है’। वह समझ सकते थे कि मैं अपनी भावनाओं को नकार रही थी, इसलिए उन्होंने मुझे बैठाया और मुझे सबसे खूबसूरत बात बताई। उन्होंने कहा, ‘अगर आपको फहाद में वो सभी खूबियाँ मिलेंगी जो आपको पसंद हैं, जो आपकी सभी व्यावहारिक स्थितियों से मेल खाए, तो क्या आप उस पर विचार करेंगी?’ और मैंने अनजाने में कहा, ‘नहीं, लेकिन वह फहाद नहीं होगा’। और अचानक मुझे लगा, ‘यह क्या था’।”

इस फरवरी में अपनी पहली सालगिरह मनाते हुए, स्वरा ने फहाद से शादी करने के अपने फैसले के बारे में जानकारी साझा करते हुए एक लंबी पोस्ट शेयर की थी। एक लंबी पोस्ट में, उन्होंने लिखा, “‘बुद्धिमान लोग कहते हैं, केवल मूर्ख ही जल्दबाजी करते हैं…’ फहाद और मैंने निश्चित रूप से जल्दबाजी में शादी कर ली, लेकिन हम 3 साल पहले से दोस्त थे। यह एक ऐसा प्यार था जिसे हम दोनों में से किसी ने पनपते नहीं देखा, शायद इसलिए क्योंकि हमारे बीच बहुत से मतभेद थे।
हिंदू-मुस्लिम सिर्फ़ सबसे ज़्यादा स्पष्ट था। मैं फ़हाद से बड़ी हूँ और हम अलग-अलग दुनिया से आते हैं: एक बड़े शहर की लड़की जो मिश्रित अंग्रेजी बोलने वाले परिवार से है और एक छोटे शहर का लड़का जो पारंपरिक पश्चिमी यूपी परिवार से है जो उर्दू और हिंदुस्तानी बोलता है। मैं हिंदी फिल्मों में एक अभिनेत्री हूँ, वह एक शोध विद्वान, कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ है।”

“हम दिसंबर 2019 में CAA-NRC विरोध प्रदर्शन में मिले और साथ में एक आयोजन भी किया। धीरे-धीरे, हम करीबी विश्वासपात्र बन गए। मैं फ़हाद के साथ सुरक्षित महसूस करती थी और हमेशा उसकी नज़र में रहती थी। स्वरा ने कहा कि वह बिना किसी डर के मुझसे किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं।

फराह ने अपने पोस्ट में आगे लिखा था, “मुझे हमेशा लगता था कि मैं लोग क्या कहेंगे की मानसिकता से आगे निकल गई हूँ, लेकिन अचानक, मुझे चिंता होने लगी कि परिवार, दोस्त, फ़िल्मी परिचित और यहाँ तक कि मेरे हमेशा के वफादार ट्रोल कैसे प्रतिक्रिया देंगे। मुझे अपने दिल में छिपे छिपे साये का सामना करना पड़ा। फ़हाद मेरे अनकहे डर को पढ़ सकते थे और हमने उन पर काम किया।”

स्वरा ने कहा, “हमारे परिवार चिंतित थे, लेकिन हम अपने प्यार के साथ खड़े रहे। हमारे हैरान माता-पिता ने हमारे फैसले को स्वीकार कर लिया। जब वे हमसे मिले, तो मुझे लगता है कि वो आश्वस्त हो गए। आज से एक साल पहले एसएमए के तहत हमारी शादी हुई थी। संयोग से, संविधान को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन से शुरू हुआ रिश्ता संवैधानिक प्रावधानों के तहत संपन्न हुआ। एक महीने बाद (मैं तब तक गर्भवती हो चुकी थी), हमने साझा रीति-रिवाजों के साथ मेरे नाना-नानी के घर पर जश्न मनाया। बहुत सारा संगीत, दावत और दावत-ए-वालिमा था। यह आनंदपूर्ण 10 दिवसीय आयोजन एक सांस्कृतिक महोत्सव जैसा लग रहा था!”