समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन के ‘जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं’ वाले बयान पर सियासत तेज हो गई है। इसी बीच बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने जया बच्चन के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जया बच्चन ने संसद में जो बातें कहीं, वो उनसे सहमत हैं। मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने कहा, ‘कई इंडस्ट्रीज और दुनिया में यह (ड्रग सिंडिकेट) फैला हुआ है, ज़ाहिर सी बात है हमारी इंडस्ट्री में भी हुआ होगा। यह कपड़े पर दाग की तरह है, जो धोने से धुल जाएगा। हमारी इंडस्ट्री काफी अच्छी है, कुछ लोगों की वजह से आप पूरी इंडस्ट्री की छवि खराब नहीं कर सकते।’
जया बच्चन की राजनीतिक प्रतिद्वंदी हेमा मालिनी ने यह भी कहा कि बॉलीवुड का सम्मान हमेशा ऊंचा रहेगा, कोई भी ड्रग्स या नेपॉटिज्म का आरोप लगाकर इसे नीचे नहीं गिरा सकता। ऐसे आरोप लगाना वास्तव में दुखद है। आपको बता दें कि बीजेपी के गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने संसद में इसी मामले पर बोलते हुए कहा था कि ड्रग्स की लत का शिकार बॉलीवुड भी है। यह हमारे देश के युवाओं को भटकाने के लिए पड़ोसी देशों कि साज़िश है। इसकी सफाई जरूरी है। रवि किशन के इसी बयान पर जया बच्चन ने प्रतिक्रिया दी थी।
जया बच्चन ने राज्यसभा में रवि किशन पर निशाना साधते हुए कहा था कि जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। कुछ लोगों की वजह से आप पूरी इंडस्ट्री को बदनाम नहीं कर सकते। जया बच्चन ने यह भी कहा कि जिन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री से ही अपना नाम कमाया, वही इसे गटर बता रहे हैं। मैं इससे असहमत हूं। सरकार को चाहिए कि वो लोगों को ऐसी भाषा के इस्तेमाल से रोके। जया के इस बयान पर सियासत शुरू हो गई। एक तरफ तमाम बॉलीवुड सेलेब्स ने उनका समर्थन किया, तो कई कलाकार उनसे असहमत नजर आए।
दीया मिर्जा बोलीं, इंडस्ट्री पर आरोप निंदनीय: एक्ट्रेस दीया मिर्जा ने जया बच्चन के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जया जी बिल्कुल ठीक कह रही हैं। यह सुखद है कि उन्होंने इंडस्ट्री के पक्ष में बोला। हम हमेशा समाज की भलाई के लिए कमिटेड रहते हैं। ऐसे में इंडस्ट्री पर ऐसा आरोप निंदनीय है’।
मनोज मुंतशिर ने साधा निशाना: उधर, गीतकार मनोज मुंतशिर ने लिखा, ‘फ़िल्म जगत अगर थाली है, तो ये थाली सबकी है. ये सबकी भूख मिटाती है और सब अपनी मेहनत से इस थाली में रखने के लिए रोटियाँ कमाते हैं। कोई किसी के टुकड़ों पर नहीं पलता। इस थाली पर ISI की जगह संविधान की मुहर है। ये थाली किसी एक परिवार, ख़ानदान या वंश की बपौती नहीं है।’