पेगासस स्पाइवेयर के जरिये कथित जासूसी का मामला गरमा गया है। विपक्षी नेताओं ने संसद में भी मामले को उठाया। सरकार का पक्ष रखते हुए आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने सदन में कहा कि इस सनसनीखेज खुलासे का कोई आधार नहीं है। आपको बता दें कि दावा किया जा रहा है कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके कई पत्रकारों के फोन की निजी जानकारी भी जुटाई गई है। अब इस पर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने एक तरीके से कथित जासूसी की लिस्ट में शामिल पत्रकारों पर तंज कसा।

सुधीर चौधरी ने अपने ट्वीट में ऐसे कई पत्रकारों पर सवाल उठाए हैं, जिनके फोन हैक होने का दावा किया जा रहा है। उन्होंने लिखा, ‘पेगासस प्रोजेक्ट की मीडिया लिस्ट से बहुत निराश हूं। इनमें से अधिकतर “पत्रकार” इतने महंगे स्पाइवेयर के लायक नहीं हैं। उनका वर्चुअली कोई प्रभाव नहीं है। हां वो मोदी-विरोधी हैं, लेकिन वो अपनी पत्रकारिता के चलते नहीं बल्कि उनकी सप्लाई चेन 2014 के बाद से कट गई है।’

अब सुधीर चौधरी के ट्वीट पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आई है। वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने उनपर कटाक्ष किया है। अजीत अंजुम लिखते हैं, ‘ये वो आदमी बोल रहा है जो 100 करोड़ वसूली के स्टिंग में फंसकर तिहाड़ हो आया है। कांग्रेस राज में हुड्डा से लेकर पटेल तक के अंतःपुर का वासी रहा है। हर सरकार में मौज-मलाई खाकर हाजी बन रहा है। 2004 के पहले भी, 2004 के बाद भी, 2014 के बाद भी, इसकी supply line चालू रही है हमेशा।’

उधर, ट्विटर यूजर्स भी इस मामले पर टिप्पणी करने लगे। कुछ यूजर सुधीर चौधरी का पक्ष लेते दिखे तो कुछ ने उन्हें खरी-खोटी सुनाई। अनन्या नाम की ट्विटर यूजर लिखती हैं, ‘ऐसे तमाचे मत मारिए। क्योंकि फिर ऐसे पत्रकार आपको बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।’ प्रज्वल सिंह नाम के यूजर लिखते हैं, ‘पत्रकारों को जासूसी से बहुत परेशानी होती है, लेकिन पत्रकार कितने नेताओं की जासूसी करते हैं उसका कुछ नहीं।’

वहीं, अजीत अंजुम के जवाब पर ट्विटर यूजर सोने लाल सिंह ने लिखा, ‘आपको भी हो सकता है दुख हो रहा हो। क्योंकि कई पत्रकारों की सप्लाई लाइन सच में कट गई है।’ अमरदीप जायसवाल नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं, ‘जिन पत्रकारों का लिस्ट में नाम है, उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही। कहीं आप भी तो लिस्ट में नहीं आना चाहते थे? कई पत्रकारों को सरकार बिल्कुल गंभीरता से नहीं लेती, जिसमें आपका नाम भी है।’

क्या है पेगासस विवाद? पेगासस स्पाइवेयर को इज़राइल की कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है। कंपनी के मुताबिक इसका मकसद आतंकी गतिविधियों पर लगाम पर सुरक्षा है। बांग्लादेश समेत कई देशों ने इसे आधिकारिक तौर पर खरीदा है। हालांकि भारत ने इसे खरीदा है या नहीं, यह अभी साफ नहीं है।

पेगासस स्पाइवेयर को अगर किसी के मोबाइल में डाल दिया जाए तो उसकी एंक्रिप्टेड चैट, मैसेज और कॉल तक की जानकारी जुटाई जा सकती है। एंक्रिप्टेड मैसेज किसी के मोबाइल पर होने वाली वो गुप्त चैट होती हैं, जिसे सिर्फ भेजने वाला और रिसीव करने वाला ही पढ़ सकता है।

भारत के ‘द वायर’ समेत कुछ विदेशी मीडिया संस्थाओं की रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल सरकार ने पत्रकारों, नेताओं, जज, वकीलों समेत कई नामी-गिरामी लोगों के फोन हैक करने में किया है। दावा किया जा रहा है कि इसके जरिये कथित तौर पर 40 पत्रकारों की जासूसी की गई। इसके अलावा राहुल गाँधी, प्रशांत किशोर जैसे नेताओं को भी निशाना बनाया गया।

उधर, सरकार की तरफ से सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है। इसे भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया गया है।