कल देश को एकता के सूत्र में बांधने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि थी। ज़ी न्यूज़ पर अपने प्राइम टाइम शो ‘डीएनए’ में सुधीर चौधरी ने सरदार वल्लभभाई पटेल पर बातचीत की। शुरुआत में सुधीर चौधरी बोले,’भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले उस महापुरुष की बात करेंगे जो अगर आज जीवित होते तो लोकतंत्र के नाम पर आजादी का दुरुपयोग देखकर बहुत दुखी होते। हम सरदार वल्लभभाई पटेल की बात कर रहे हैं जिनका आज ही के दिन 1950 में निधन हुआ था।’

उन्होंने आगे कहा,’1950 में संविधान लागू होने के साथ ही भारत एक गणतांत्रिक लोकतंत्र बना लेकिन 70 वर्षों में यही लोकतंत्र जरूरत से ज्यादा आजादी की वजह से आज चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है। अगर सरदार पटेल भी जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र के पक्ष में होते तो शायद वो 500 से ज्यादा रियासतों का इस तरह विलय नहीं कर पाते अपनी शर्तों पर। लोकतंत्र की अति का प्रयोग करके रियासतें भारत में अपना विलय होने ही नहीं देतीं, अगर भारत ने इन्हें पूरी आजादी दे दी होती तो।’ सुधीर चौधरी ने कहा,’भारत के आजाद होने के बाद अंग्रेजों ने कहा था 15 वर्षों में भी कोई भारत के 565 रियासतों को जोड़ नहीं सकता लेकिन सरदार पटेल ने लगभग 2 वर्षों में ही पूरे भारत को एक सूत्र में बांध दिया, ये बिल्कुल आसान काम नहीं था।’

सुधीर चौधरी आगे बोले,’कश्मीर से सरदार पटेल को जानबूझकर अलग रखा गया, देश के गृह मंत्री होने के नाते उन्हें वो ताकत वहां पर नहीं दी गई जिसके वो हकदार थे। कश्मीर में लोकतंत्र के नाम पर शुरुआत में जरूरत से ज्यादा आजादी दी गई, हमने कश्मीर की शर्तों को लोकतंत्र के नाम पर स्वीकार कर लिया और कश्मीर एक ऐसा नासूर बन गया हमारे देश के लिए जो वर्षों तक हमें परेशान करता रहा आज भी कर रहा है।

सुधीर चौधरी के इस विश्लेषण पर यूजर्स की तरह-तरह की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं। बंटी जाट नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,’सरदार पटेल होते तो नरेंद्र मोदी सरकार की तानाशाही देख कर बहुत दुखी होते। सरदार पटेल होते तो आज इस आंदोलन में किसानों के साथ किसी बॉर्डर पर खड़े होते हैं आपकी तरह हमको खालिस्तानी या आतंकवादी नहीं बताते, इतना मुझे विश्वास है। बाकी आप शो में कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं।’ अजय कुमार नाम के यूजर ने लिखा है,’एनकांउटर ऑप्शन बाकी है,किसान के नाम पर टेरेरिस्ट हैं।’