बिहार के छोटे से कस्बे से आने वाले पंकज त्रिपाठी आज बॉलीवुड में एक जाना पहचाना नाम है। छात्र राजनीति से नाटकों का रूख करने वाले पंकज आज कई प्रयोगधर्मी फ़िल्ममेकर्स के साथ काम कर रहे हैं। गैंग्स ऑफ वासेपुर और गुड़गांव जैसी फ़िल्मों से चर्चा में आए पंकज त्रिपाठी का बचपन और जीवन बेहद दिलचस्प रहा है और इसी सिलसिले में उन्होंने अपने सफ़र के बारे में बताया।

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उन्होंने बताया कि ‘बिहार के गोपालगंज के छोटे से गांव में मेरा जन्म हुआ था। उस दौर में छठ पूजा के अगले दिन एक स्ट्रीट प्ले हुआ करता था। उस नाटक को देखने में मेरी काफी दिलचस्पी थी। जब मैं आठवीं क्लास में आया तो इस नाटक में परफॉर्म भी करने लगा। स्कूली जीवन खत्म होने के बाद मैं पढ़ाई के लिए पटना चला गया। मेरे पिता मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। कॉलेज जॉइन किया और फिर छात्र संगठन से जुड़ गया। नेतागिरी के चलते स्टेज पर आत्मविश्वास बढ़ गया था, धावक भी था तो फ़िजिकली भी ठीक था। मेरा काम अक्सर लोगों को चुटकुले वगैरह सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन करना था ताकि 100-200 लोग जुट सकें और बड़े नेता आकर भाषण दे सकें। पटना जाकर एक काम ये भी हुआ कि मैं वहां भी नाटक और स्ट्रीट प्ले देखने लगा । अंधा कुआं नाम का नाटक देखकर बहुत रोया। वहां मैं हर दूसरा प्ले देखा करता था।’

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उन्होंने कहा कि ‘मैंने छात्र राजनीति को इसलिए चुना था ताकि अपने कॉलेज, समाज की कुछ मदद कर सकूं। लेकिन वहां चाटुकारिता और साम दाम दंड भेद का खेल था। मैं किसी की चाटुकारिता नहीं कर सकता था इसलिए तुलनात्मक अध्ययन करते हुए मैंने छात्र राजनीति को छोड़ दिया और नाटक की दुनिया को अपना लिया। मुझे लगा कि अपने आपको अभिव्यक्त करने के लिए इससे बेहतर माध्यम मुझे नहीं मिलेगा।
1995 से लेकर 2001 तक कई नाटक किए फिर एनएसडी में एडमिशन ले लिया। तीन साल एक्टिंग सीखने के बाद पटना चला आया लेकिन ये दुर्भाग्य ही है कि एक रंगकर्मी के तौर पर नाटकों में पैसा बनाने के लिए आपको कड़ा संघर्ष करना पड़ता था। ऐसे में साल 2004 में मैंने अपनी बीवी समेत मुंबई जाने का फ़ैसला कर लिया था।’